बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के करीबी विधान परिषद सदस्य सुनील कुमार को अपनी एमएलसी की सदस्या से हाथ धोना पड़ा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मिमिक्री करने के आरोप में उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है। विधान परिषद से सभापति ने उनके खिलाफ लगे आरोपों के बाद बर्खास्तगी पर मुहर लगा दी है। सुनील कुमार पर सीएम नीतीश कुमार के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों के इस्तेमाल का भी आरोप लगा था।

क्या है पूरा मामला?

बता दें कि सुनील कुमार ने 13 फरवरी 2024 को राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर अभद्र टिप्पणी की। इसकी शिकायत जेडीयू के एमएलसी भीष्म सहनी ने आचार समिति के समक्ष की। विधान परिषद की आचार समिति को पूरे मामले की जांच का जिम्मा दिया गया था। आचार समिति के अध्यक्ष सह विधान परिषद के उप सभापति प्रोफेसर रामवचन राय ने गुरुवार को सभापति को अपनी रिपोर्ट सौंप दी जिसमें एमएलसी पर लगाए गए आरोपों को सही करार दिया और अनुशासनात्मक कार्रवाई के अनुशंसा कर दी।

आरजेडी के दो एमएलसी पर लगा था आरोप

बता दें कि आरजेडी एमएलसी मो. कारी सोहेब के खिलाफ भी इसी मामले को लेकर शिकायत की गई थी। हालांकि उन्होंने अपनी गलती स्वीकार की और इस मामले में माफी भी मांगी। इसके बाद कारी सोहेब को आचार समिति की रिपोर्ट पर अगले सत्र में दो दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया है। विधानपरिषद में एक साल के अंदर राजद की तरफ से सदस्यता गंवाने वाले यह दूसरे सदस्य हैं। इससे पूर्व राजद की अनुशंसा पर रामबली सिंह की भी सदस्यता समाप्त कर दी गई थी।