Lalu Prasad Yadav: बिहार की राजनीति की जब भी बात होती है बिना लालू यादव के पूरी नहीं होती है। लालू बिहार ही नहीं बल्कि देश भर में मशहूर नेता हैं जिनको पसंद करने वालों की तादात काफी है। पटना में पढ़ाई के दौरान ही लालू की राजनीति का आगाज हो गया था। शुरुआत छात्र नेता के रूप में हुई थी। इसी दौरान लालू जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़ते हैं और राजनीतिक की पहली सीढ़ी पर पैर रख देते हैं। पटना यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (पुसू) ने बिहार छात्र संघर्ष समिति का गठन किया था। लालू 1974 में जयप्रकाश के साथ मिलकर छात्र आंदोलन की बागडोर संभालते हैं। इसी दौरान उनको जेल हो जाती है।
बता दें कि जेल जाने से कुछ दिन पहले ही लालू की शादी हुई थी। लालू शादी वाली पीली धोती में ही पटना एसेंबली का घेराव करने चले गए थे। इस दौरान लालू को काफी लाठियां पड़ीं थीं। चारो तरफ ये बात फैल गई कि लालू पुलिस की गोली से मारे गए। बात राबड़ी तक भी पहुंची जो हाल ही में ससुराल आईं थीं। लालू ने प्रशासन से छिप कर राबड़ी से मिलने गए और बताए कि मैं जीवित हूं। बाद में लालू अंडर ग्राउंड हो गए।
एक टीवी शो में राबड़ी ने कहा था कि, ‘उनके आने के बाद लालू का अधिकांश समय जेल में ही बीता। लालू को जेल में जो व्यक्ति गाय का दूध पहुंचाने जाता था उसी के हाथों लालू यादव उनको चिट्ठी लिखकर भेजते थे। उस चिट्ठी में लालू छोटे-छोटे चुटकुले लिखा करते थे।’ यही नहीं राबड़ी भी लालू से मिलने जेल पहुंच जाया करतीं थीं। लालू के ससुर शिवप्रसाद चौधरी भी जेल में ही उनको फल और दही पहुंचाया करते थे।
बता दें कि 1977 में आपातकाल के बाद लालू यादव पहली बार लोकसभा चुनाव जीते। सिर्फ 29 साल की उम्र में लालू यादव लोकसभा पहुंचे थे। उस समय वे सबसे युवा सांसद में से एक थे। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे हैं। लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने थे। 1997 में लालू प्रसाद ने जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल का निर्माण किया और खुद उसके अध्यक्ष बने।