RJD Chief Lalu Yadav: सुप्रीम कोर्ट से बुधवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष अदालत ने लालू यादव की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें उनके खिलाफ नौकरी के बदले जमीन (लैंड फॉर जॉब) घोटाला मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही स्थगित करने की मांग की थी।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, लालू यादव ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ट्रायल कोर्ट को निर्देश देने की मांग की कि जब तक दिल्ली हाई कोर्ट मामले को पूरी तरह से रद्द करने की उनकी याचिका पर सुनवाई पूरी नहीं कर लेता, तब तक कार्यवाही स्थगित रखी जाए।
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एमएम सुंदरेश और एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने ऐसे निर्देश देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मामले में निचली अदालत द्वारा आरोप तय करने से यादव की उच्च न्यायालय में दायर याचिका निरर्थक नहीं हो जाएगी।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम कोई आदेश पारित नहीं कर रहे हैं। आशंकाओं को ध्यान में रखते हुए हम कहते हैं कि आरोप तय करने से हाई कोर्ट में लंबित याचिका निष्फल नहीं हो जाएगी।
कोर्ट ने लालू यादव द्वारा दायर आवेदन पर विचार कर रहा था, जिसमें मामले में ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही को कम से कम 12 अगस्त के बाद तक स्थगित करने का अनुरोध किया गया था, जब दिल्ली हाई कोर्ट मामले को रद्द करने के लिए लालू यादव की याचिका पर सुनवाई करने वाला है।
नौकरी के बदले जमीन मामले में आरोप है कि 2004-2009 के दौरान बिहार के विभिन्न निवासियों को नौकरी दी गई, क्योंकि उन्होंने या उनके परिवार के सदस्यों ने अपनी जमीन तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों के नाम पर स्थानांतरित कर दी थी। इस मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने 2022 में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की गई थी।
लालू यादव ने अंततः इस एफआईआर को रद्द करने की मांग करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया । उन्होंने उच्च न्यायालय से इस याचिका के लंबित रहने तक निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया।
29 मई को उच्च न्यायालय ने सीबीआई को नोटिस जारी किया, लेकिन निचली अदालत में कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए कोई ठोस कारण नहीं पाया। इसके बाद लालू यादव ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर तर्क दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत अनिवार्य मंजूरी के बिना मुकदमा आगे नहीं बढ़ सकता।
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसमें निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई गई थी। इसके बाद उन्होंने निचली अदालत की कार्यवाही स्थगित करने के लिए शीर्ष अदालत में आवेदन दायर किया। यादव ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 2 अगस्त तक अपने खिलाफ लगाए जा सकने वाले आपराधिक आरोपों पर अपनी दलीलें पूरी करने का आदेश दिया था।
दूसरी ओर, दिल्ली हाई कोर्ट ने मामले को रद्द करने की उनकी याचिका को 12 अगस्त को ही सूचीबद्ध कर दिया। 24 जुलाई को हाई कोर्ट ने मामले को पहले की तारीख पर सूचीबद्ध करने की उनकी याचिका को भी खारिज कर दिया।
शीर्ष अदालत के समक्ष आवेदन में आगे बताया गया कि लालू यादव ने उच्च न्यायालय के समक्ष मूलभूत प्रश्न उठाया है कि क्या उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही टिकने योग्य है। इस संबंध में यह तर्क दिया गया कि भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 17ए के तहत लोक सेवक पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त नहीं की गई थी।
लालू यादव के आवेदन में कहा गया है कि यदि हाई कोर्ट में रिट याचिका लंबित होने के बावजूद निचली अदालत आरोपों पर बहस सुनना जारी रखती है, तो याचिकाकर्ता (यादव) को न्याय का गंभीर उपहास सहना पड़ेगा, जिसे माननीय उच्च न्यायालय के बोर्ड को ध्यान में रखते हुए 12.08.2025 को सुनवाई के लिए रखा गया है।
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आज जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो लालू यादव के वकील ने शुरू में स्थगन की मांग की, क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल , जिन्हें मामले में दलीलें पेश करनी थीं, जस्टिस यशवंत वर्मा द्वारा दायर याचिका पर बहस करने के लिए एक अन्य अदालत में थे।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि यादव निचली अदालत के समक्ष मंजूरी को लेकर अपनी चिंताएं उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि यादव की अर्जी को जुर्माने के साथ खारिज किया जाना चाहिए।
राजू ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में आरोपमुक्ति की प्रक्रिया चल रही है, जहां वह 17ए का प्रश्न उठा सकते हैं। उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है। अमीर व्यक्ति ऐसे कई आवेदन कर सकते हैं। कोर्ट ने जवाब दिया है कि हम कोई जुर्माना नहीं लगा रहे हैं। इसके बाद न्यायालय ने स्पष्ट किया कि वह आवेदन पर विचार नहीं कर रहा है। वहीं,सुप्रीम कोर्ट ने निठारी हत्याकांड के आरोपियों को बरी कर दिया। पढ़ें…पूरी खबर।