RG Kar Rape-Murder Case: कोलकाता पुलिस ने आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले के खिलाफ ‘रिक्लेम द नाइट’ विरोध प्रदर्शन में शामिल पांच महिलाओं को नोटिस जारी किया है। पुलिस का तर्क है कि आयोजकों को रैलियां या धरना आयोजित करने से पहले अनुमति लेनी चाहिए थी।

विरोध प्रदर्शन के आयोजकों का दावा है कि उन्होंने पुलिस को अपने कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी थी। साथ वे शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका तर्क है कि पुलिस की कार्रवाई उन्हें डराने की कोशिश है।

पुलिस ने पांचों आयोजकों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और राष्ट्रीय राजमार्ग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है। इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के तहत उन्हें नोटिस जारी किया है, जिसमें उन्हें सात दिनों के भीतर जांचकर्ताओं के समक्ष उपस्थित होने को कहा गया है।

9 अगस्त को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर की बलात्कार के बाद हत्या के विरोध में जन आक्रोश फूट पड़ा था। सड़कों पर पहली बार ऐसा देखा गया था जब इन प्रदर्शनों में किसी भी राजनीतिक दल के झंडे नज़र नहीं आ रहे थे और न ही आंदोलन का नेतृत्व करने वाला कोई चेहरा। प्रदर्शनों में बुज़ुर्ग थे, महिलाएं थीं और बच्चे भी थे।

यह आंदोलन जूनियर डॉक्टरों ने शुरू किया था जो पीड़िता और उनके परिवार के लोगों के लिए इंसाफ़ की मांग कर रहे थे। घटना नौ अगस्त की सुबह सामने आई। मगर इस पूरे मामले में जिस तरह से मेडिकल कॉलेज के प्रशासन और स्थानीय पुलिस की भूमिका रही, उसको लेकर कई सवाल उठने लगे और लोगों का आक्रोश भड़कने लगा।

घटना के विरोध में प्रदर्शनों का सिलसिला चल ही रहा था और 14-15 अगस्त की रात कोलकाता शहर में महिलाओं ने ‘रीक्लेम द नाइट’ का नारा देकर “महिलाओं का अधिकार” फिर से स्थापित करने की अपील की. इस आह्वान पर मानो पूरा कोलकाता शहर रात को सड़कों पर उमड़ पड़ा।

इस दौरान आरजी कर मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में जूनियर डॉक्टरों का भी धरना चल रहा था। तभी वहां पर एक ‘अज्ञात भीड़’ ने हमला कर दिया। भीड़ ने न सिर्फ़ धरना स्थल को तहस-नहस किया बल्कि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में भी तोड़फोड़ की। आरोप लगे कि हत्या वाली जगह पर भी छेड़छाड़ की गई। ऐसा सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा।