उत्तर प्रदेश की 80 में से 37 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को करारी शिकस्त का सामना आखिर क्यों करना पड़ा? इस सवाल का जवाब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अब तक ढ़ूंढ़े नहीं मिल रहा है। लखनऊ में हुई प्रदेश कार्यकारिणी में सभी नेताओं ने समवेत स्वर में इस बात को स्वीकार किया कि भाजपा कार्यकर्ताओं की चुनाव में उदासीनता पार्टी को भारी पड़ी। उन्होंने इस बात को भी माना कि संविधान बदलने के विपक्ष के झूठे प्रचार से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन एक सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था कि संविधान बदलने का झूठ सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही असरदार क्यों रहा? बाकी राज्यों में इसका असर दिखाई क्यों नहीं दिया।
लोकसभा चुनाव के 40 दिन बाद भी कारण नहीं पता चला
लोकसभा चुनाव को हुए 40 दिन से अधिक का समय गुजर गया। उसके बाद भी भाजपा अब तक हार के असल कारणों की तह तक नहीं पहुंच पाई है। वह अब तक यह समझ नहीं पा रही कि आखिर जमीन पर उसकी पकड़ के कमजोर पड़ने की असल वजहें क्या-क्या हैं? प्रदेश कार्यकारिणी में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने इस बात को स्वीकार किया कि मंत्री, विधायक और जनप्रतिनिधि कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान नहीं दे रहे थे। इसीलिए उन्होंने उनसे अपील की कि वे कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान दें। लेकिन बात फिर वहीं आ कर अटक जाती है कि कार्यकर्ताओं को उचित सम्मान ना मिलना ही उत्तर प्रदेश में भाजपा की करारी हार की वजह बनी या इसके पीछे कारण कुछ और थे।
दरअसल प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर का लीक होना हार के बड़े कारणों में से एक रहा। इस बात को भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने स्वीकार किया है। वे कहते हैं, लाखों छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के पेपर लीक होने से भारी निराशा हुई। उनमें इस बात को लेकर खासा गुस्सा रहा। इसका खामियाजा वोटों की शक्ल में भाजपा को भुगतना पड़ा। दूसरी बड़ी वजह रही छुट्टा पशुओं की। उत्तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्या विकराल रूप धारण कर चुकी है।
प्रदेश का शायद ही कोई ऐसा गांव हो, जो इस समस्या से जूझ ना रहा हो। किसानों ने अपनी फसल को ऐसे पशुओं से बचाने के लिए भरसक प्रयास कर लिए, उसके बाद भी उनको कोई राहत नहीं मिली। गांव के लोग अब कहने लगे हैं कि प्रधनमंत्री किसानों को हर वर्ष साढ़े छह हजार रुपए उनके खाते में तो डालते हैं लेकिन उससे अधिक मूल्य की उनकी फसल छुट्टा मवेशियों की भेंट चढ़ जाती है।
विपक्ष के संविधान बदलने का झूठ फैला कर उसका राजनीतिक लाभ उठाने के आरोपों के जवाब में उक्त नेता कहते हैं, यदि ऐसा होता तो उसका असर देश भर में दिखाई देता। उत्तर प्रदेश से सटे मध्य प्रदेश में सभी 29 लोकसभा सीटों पर भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली। विपक्ष का यह झूठ आखिर मध्य प्रदेश और गुजरात में कारगर क्यों साबित नहीं हुआ। इस सवाल का जवाब भाजपा आलाकमान के पास नहीं है।