कोरोना के दूरगामी दुष्प्रभावों में 200 तरह की दिक्कतें आ रहीं हैं। इनमें त्वचा, जोड़, हड्डियों, पेट, फेफड़े हृदय से लेकर दिमाग तक में लंबे समय तक परेशानी बनी हुई है। इनमें से कुछ पर शोध रपट आ गई है जबकि कुछ पर अभी भी अध्ययन जारी है।
एम्स में हृदय वक्ष एवं तंत्रिका विज्ञान केंद्र की मुखिया डा एमवी पद्मा ने बताया कि ब्रिटेन में हुए अध्ययन में देखा गया कि विभिन्न अंगों के परेशान करने वाले करीब 200 तरह के लक्षण सामने आ रहे हैं। जहां पहले यह केवल फेफड़ों तक असर डाल रहा था वहीं यह दिमाग की नसों से लेकर पैर की नसों तक में रुकावट करने वाले खून के थक्के बना रहा है, जिससे स्ट्रोक यानी लकवे के मामले बढ़ रहे हैं।
नसों में रुकावट से हाथ-पैर में परेशानी व सिर में हमेशा सिरदर्द की समस्या पैदा कर रहा है। डा पद्मा ने बताया कि रीढ़ की हड्डी में दिक्कत हो रही है जिससे लकवे की दिक्कतें बढ़ रहीं है। उन्होंने बताया कि फेफड़े की सांस भीतर रोक पाने की क्षमता कम हो रही है। जिससे लोगों को सांस की परेशानी, थकान व नींद की परेशानी बढ़ रही है।
उन्होंने बताया इसके अलावा हृदय के उपर भी इसका असर देखने को मिल रहा है जिसमें अनियमित धड़कन, तेज धड़कन, हृदयाघात, सीने में भारीपन व कंधों में दर्द सहित दिल में पानी भरने जैसी दिक्कतें भी देखने में आ रही हैं।मरीजों के ठीक होने के बाद भी उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ गई है जिससे त्वचा से लेकर तमाम तरह के संक्रमण के मामले में भी बढ़ोतरी देखी जा रही है। मानसिक स्वास्थ्य पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। लोग उदासी का शिकार हो रहे हैं।
बेचैनी, निर्णय लेने की क्षमता व काम करने की क्षमता सभी पर असर आ रहा है। किसी को नींद ही नहीं आ रही है तो किसी को नींद ही नींद आ रही है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि इन लक्षणों को लेकर बहुत घबराने की जरूरत नहीं है। लेकिन इसे हल्के में भी नहीं लिया जा सकता। उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि खुद से दवा लेने की बजाय डाक्टर से मिल कर ही इलाज करें। इसके साथ ही यह भी बताया कि उम्मीद की जा रही है कि यह छह से नौ महीने तक परेशान कर सकता है।
