रिपब्लिक भारत के शो ‘पूछता है भारत’ में ‘क्या हमारी राष्ट्रवादी पत्रकारिता से डर लगता है?’ विषय पर चल रहे बहस के दौरान एक बार अर्नब गोस्वामी ने कहा था कि मेरी हिंदी साफ नहीं लेकिन नीयत साफ है। कुछ पत्रकारों की हिंदी साफ है लेकिन उनकी नीयत साफ नहीं है।
अर्नब गोस्वामी ने कहा था कि आप मेरी आलोचना कर सकते हैं लेकिन मैं एक ही बात कहूंगा कि भारत में ये जो युवराज हैं उन्हें लगता है कि मीडिया चैनल चलाने का हक सिर्फ उन्हें ही है। मेरे जैसा कोई मध्यम वर्ग के परिवार से आने वाला आर्मी अफसर का बेटा अगर कोई चैनल शुरू करे तो हमने बहुत गलत काम कर दिया। इन्हें लगता है ‘तुम कहा से आ गए? तुम्हे तो मेरे नीचे रहना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि मेरी सोच अलग है। बीच में शिवसेना के प्रवक्ता ने उन्हें रोकना चाहा तो उन्होंने कहा कि मेरी बातों को आप खत्म होने दीजिए फिर कुछ कहिएगा। अर्नब गोस्वामी ने कहा कि जब मैंने रिपब्लिक भारत शुरू किया था तब मैंने पहले ही दिन कहा था कि मेरी हिंदी साफ नहीं है लेकिन मेरी नीयत साफ है। इस देश में बहुत ऐसे बड़े-बड़े पत्रकार हैं जिनकी नियत साफ नहीं है लेकिन हिंदी बहुत साफ है।
वो लोग कहते हैं कि वो सत्य के राह पर रहने वाले लोग हैं। सत्य का नाम अपनी कंपनी के नाम में लगाने से कोई सत्य नहीं बोल देता है। ये बात सही है कि मेरी विचारधारा अलग है मैं खुलकर बोलता हूं कि शाहीन बाग में क्या हुआ।
बॉलीवुड में ड्रग्स की सच्चाई मेरे चैनल ने दिखायी। हाथरस में दंगों की साजिश थी किस चैनल ने दिखायी? सुशांत के साथ अन्याय हुआ उसे मारा गया हमने दिखाया। कारसेवकों का नरसंहार हुआ किस चैनल ने दिखाया? पालघर में साधुओं की हत्या हुई और राज्य सरकार ने कुछ नहीं किया उस बात को किस चैनल ने चलाया?

