केंद्र के कृषि बिलों के खिलाफ चल रहे गतिरोध के बीच रिपब्लिक भारत के डिबेट शो ‘पूछता है भारत’ में राजनीतिक विश्लेषक ममता काले ने विपक्ष और अन्य क्षेत्रों से जुड़े लोगों को निशाने पर ले लिया। उन्होंने कहा कि किसानों की सारी बातें जब केंद्र सरकार मान रही है तो ये अवार्ड वापसी गैंग सामने कैसे आ गई। उन्होंने बहुजन कार्यकर्ता सतीश प्रकाश से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी का गठन किया तो उसमें दिक्कत क्या है?
डिबेट में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव भाटिया ने भी विपक्ष को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा- विपक्ष की आस्था सुप्रीम कोर्ट और संसद में नहीं है। उन्होंने कहा कि मगर हमारी प्रतिबद्धता सर्वोच्च न्यायालय के ऊपर है। इधर डिबेट में राजनीतिक विश्लेषक मोहम्मद तौसीफ रहमान सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों को निशाने पर लेते हुए कहा कि कांग्रेस और बीजेपी की आपसी लड़ाई में किसान पिस रहे हैं।
बता दें कि केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर चल रहे गतिरोध को खत्म करने के मकसद से सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चार सदस्यों की एक समिति गठित की। हाालंकि इस समिति पर भी सवाल उठने लगे हैं। बताया जाता है कि समिति के चारों सदस्य कृषि क्षेत्र में सुधारों के पैरोकार के रूप में जाने जाते हैं। हालांकि कांग्रेस और आंदोलन कर रहे किसान संगठनों ने इनको लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इन सदस्यों ने हाल दिनों में तीनों कानूनों का खुलकर समर्थन किया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने तीन नए कृषि कानूनों को लेकर सरकार और दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे रहे किसान संगठनों के बीच व्याप्त गतिरोध खत्म करने के इरादे से मंगलवार को इन कानूनों के अमल पर अगले आदेश तक रोक लगाने के साथ ही किसानों की समस्याओं पर विचार के लिए चार सदस्यीय समिति गठित कर दी।
चीफ जस्टिस एस ए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद समिति के लिए भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिन्दर सिंह मान, शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवत, अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक (दक्षिण एशिया) डॉ प्रमोद जोशी और कृषि अर्थशास्त्री अशोक गुलाटी के नामों की घोषणा की। (एजेंसी इनपुट)