रिपब्लिक भारत पर डिबेट के दौरान एंकर अर्नब गोस्वामी समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता से कहने लगे कि क्या आप लाठी पर मरहम लगवाएंगे? अर्नब गोस्वामी ने कहा कि आपको गोली का गम होता है कि नहीं? इस पर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता कहने लगे कि हम साधु संतों का सम्मान करते हैं,उनको नमन करते हैं। परंतु ये नमन आपके कहने पर नहीं किया जाएगा। इस पर अर्नब गोस्वामी कहने लगे कि झूठ मत बोलो यार चेहरा देखकर पता चल जाता है।

बता दें कि यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने 2015 के एक मामले को लेकर जगदगुरु शंकाराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से माफी मांगी। दरअसल 2015 में जब अखिलेश यादव यूपी के सीएम थे तो संतों पर वाराणसी में पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। मालूम हो कि रविवार को सपा अध्यक्ष हरिद्वार पहुंचे थे और संतों से आशीर्वाद लिया था।

22 सितंबर 2015 को गणेश विसर्जन रोके जाने के खिलाफ वाराणसी के गोदौलिया चौराहे पर धरना दिया जा रहा था। धरने के समर्थन में दूसरे दिन जनता सड़क पर उतर आई थी। इस दौरान साधु-संतों के धरने पर बैठने से माहौल गरमा गया था।

विसर्जन की इजाजत के लिए दो संतों ने अनशन किया लेकिन देर रात पुलिस ने लाठीचार्ज कर संतों को बुरी तरह पीटा। लाठीचार्ज के बाद भगदड़ के चलते कई लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस बीच पुलिस ने लोगों और साधु-संतो पर लाठियां भांजीं थीं। इसमें स्वमी अविमुक्तेश्वरानंद, बालक दास समेत 40 से ज्यादा संत घायल हुए थे।

अखिलेश यादव से मुलाकात के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, ‘हमने देखा कि उनके मन में उस घटना के लिए पछतावा था। गलती किसी से भी हो सकती है। अपनी गलती को मानकर सुधार के लिए तत्पर होना महत्वपूर्ण है। अखिलेश यादव ने यह जज्बा दिखाया है, इसलिए हम उन्हें अब पुरानी बातें भूलकर नई ऊर्जा के साथ देश समाज की सेवा में लगने को कहा। आशा है कि अब कभी उनके सत्ता में रहते हमारे देवविग्रहों और उनके प्रति आस्था रखने वालों की श्रद्धा का अवमान (अपमान) नहीं होगा।’

उन्होंने बताया कि जब पूर्व सीएम यादव आए तो उनका स्वागत किया गया। संत ने कहा, ‘जब वे हमारे पास आए तो हम कुछ बोलते, उसके पहले ही उन्होंने कहा शरणागत हूं…। शरणागत के त्याग का शास्त्रों में विधान नहीं है। शरणागत की रक्षा ही धर्म है। यह सोचकर फिर हमने उनसे पुराने संदर्भ में कुछ न कहा और कुशल क्षेम पूछकर उन्हें शंकराचार्य के पास ले गए। उन्होंने शंकराचार्य से निर्देश, आदेश और आशीर्वाद मांगा।’