Renuka Chowdhury Controversial Statement: संसद के शीतकालीन सत्र का आज सातवां दिन है। आज भी लोकसभा और राज्यसभा में गतिरोध जारी है। विपक्षी सांसदो ने वॉकआउट कर दिया है। अब इसी बीच, कांग्रेस की सांसद रेणुका चौधरी ने लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को लेकर विवादित बयान दिया है। उन्होंने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी हमारी नहीं है। अगर वह लायक हैं तो चलाएंगे और नालायक हैं तो नहीं चलाएंगे।
कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने समाचार न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, ‘हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश करते हैं कि हाउस को चलाया जाए, क्योंकि जो लोग हमसे उम्मीद रखते हैं कि हम आकर उनकी आवाज यहां पर बुलंद करें। अब सरकार सदन चलाना चाह रही है तो चलेगा। अगर वो नहीं चलाना चाहते तो सब लोग समझते हैं कि यह षड्यंत्र क्या है। हमारी जिम्मेदारी हाउस चलाने की नहीं है। जो कुर्सी पर बैठें है उनकी जिम्मेदारी है। अगर वो लायक हैं तो चलाएंगे और नालायक हैं तो नहीं चलाएंगे।
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रेणुका चौधरी ने मोहन भागवत पर भी किया था कटाक्ष
यह कोई पहली बार नहीं हैं जब रेणुका चौधरी अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में हैं। उन्होंने एनडीटीवी से बातचीत में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की टिप्पणी पर भी कटाक्ष किया था। उन्होंने कहा, ‘देश में बेरोजगार पुरुष शादी नहीं कर सकते क्योंकि कोई भी अपनी बेटी की शादी बेरोजगार पुरुष से तय नहीं करना चाहता। उनके पास नौकरी नहीं है। वे (अपने जीवनसाथी की) देखभाल कैसे करेंगे? पैसे नहीं हैं। बुजुर्ग माता-पिता काम कर रहे हैं और अपने बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। और वह कह रहे हैं कि अधिक बच्चे पैदा करो। क्या हम खरगोश हैं जो हम प्रजनन करते रहेंगे? जो लोग बात कर रहे हैं, वे कितने बच्चे पाल सकते हैं? उनका अनुभव क्या है? हम जानते हैं।’
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ओम बिरला के मीटिंग बुलाने के बाद भी टकराव
सरकार और विपक्ष के बीच टकराव के चलते विंटर सेशन के पहले हफ्ते में कार्यवाही सही तरीके से नहीं चल पाई थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा सदन के नेताओं की बैठक बुलाए जाने के बाद आज भी टकराव जारी ही है। बीते दिन हुई मीटिंग में सभी दलों ने सत्र के दौरान संविधान पर विशेष चर्चा के लिए सहमति जताई।
सरकार ने बांग्लादेश की स्थिति और संभल में हिंसा जैसे मुद्दों को शून्यकाल के दौरान उठाने की इजाजत देने पर भी सहमति जताई। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अडानी रिश्वतखोरी के आरोपों पर संसद की कार्यवाही को बाधित नहीं करने का फैसला किया। हालांकि, विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को संसद परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। पिछले हफ्ते अडानी के आरोपों और मणिपुर और संभल में हिंसा पर विपक्ष की बहस की मांग के कारण दोनों सदनों को बार-बार स्थगित किया गया था। इसकी वजह से सत्र सही से नहीं चल पाया।