राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कहा है कि एक खास कौम सरकारी तंत्र में घुसने का प्लान बना रही है, जबकि देश में संविधान और धार्मिक आजादी के नाम पर कट्टरता बढ़ रही है। यह बात आरएसएस ने शनिवार (12 मार्च, 2022) को जारी अपनी 2022 की सालाना रिपोर्ट में कही।

इसके मुताबिक, “संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता” की आड़ में देश में “बढ़ती धार्मिक कट्टरता” और “एक खास समुदाय की ओर से सरकारी तंत्र में एंट्री करने की विस्तृत योजना” है। इसने “इस खतरे को हराने” के लिए “संगठित ताकत के साथ हर संभव प्रयास” करने की अपील की है। संघ की वार्षिक रिपोर्ट गुजरात के अहमदाबाद शहर में आरएसएस की एक बैठक में पेश की गई थी।

आगे यह कहती है कि मुल्क में बढ़ती धार्मिक कट्टरता के विकराल रूप ने कई जगहों पर फिर सिर उठाया है। केरल और कर्नाटक में हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्याएं इस खतरे का एक उदाहरण हैं। सांप्रदायिक उन्माद, रैलियों, प्रदर्शनों, संविधान की आड़ में सामाजिक अनुशासन का उल्लंघन, रीति-रिवाजों और परंपराओं और धार्मिक स्वतंत्रता को उजागर करने वाले नृशंस कृत्यों का सिलसिला बढ़ रहा है।

दीर्घकालिक लक्ष्यों के साथ इसे एक साजिश के रूप में सुझाते हुए रिपोर्ट यह भी कहती है, “एक विशेष समुदाय की तरफ से सरकारी तंत्र में प्रवेश करने के लिए विस्तृत योजनाएं मालूम पड़ती हैं। इन सबके पीछे ऐसा लगता है कि दीर्घकालिक लक्ष्य के साथ एक गहरी साजिश काम कर रही है। संख्या के बल पर उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए कोई भी रास्ता अपनाने की तैयारी की जा रही है।”

वैसे, आरएसएस की यह रिपोर्ट ऐसे वक्त आई है, जब कर्नाटक में मुस्लिम छात्राओं की ओर से स्कूलों और कॉलेजों में हिजाब पहनने के अपने अधिकार को लेकर विरोध प्रदर्शन फिलहाल जारी है। विश्वविद्यालय कैंपसों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के बढ़ते प्रभाव को लेकर आरएसएस के भीतर चिंता बढ़ रही है।

हालांकि, संघ इस मसले पर सक्रिय रूप से शामिल नहीं हुआ है। वह मानता है कि इस मामले को स्थानीय रूप से संभाला जाना चाहिए था। संघ के वरिष्ठ नेताओं ने धार्मिक पहचान के दावे के माध्यम से पीएफआई की महत्वाकांक्षा के प्रमाण के रूप में विवाद को हरी झंडी दिखाई है।