Delhi News: दिल्ली के सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था कैसी है? और परिवहन विभाग में क्या कुछ चल रहा है? इसका जायजा लेने के लिए रेखा सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ. पंकज सिंह आम जनता बनकर सरकारी अस्पतालों और परिवहन विभाग के कार्यालय में घूम रहे हैं। कभी वह मरीज के तीमारदार बनकर दवा की लाइन में लग जाते हैं तो कभी ओपीडी की भीड़ में शामिल हो जाते हैं।

इतना ही नहीं पंजज सिंह परिवहन विभाग के दफ्तर में भी व्यवस्थाएं देखने के लिए चुपचाप अकेले निकल जा रहे हैं। गत दिनों पुलिस कर्मी के साथ चलने के कारण उनकी पहचान हो गई थी, अब वह पुलिसकर्मी को भी दूरी पर रखते हैं।

सरकारी व्यवस्थाओं की सच्चाई जानने और उनकी व्यवस्थाओं में सुधार के लिए सरकारी तौर पर अधिकारी और मंत्री तक पूर्व में भी अपने विभागों का आवश्यक निरीक्षण कर आंखों देखा हाल जानते रहे हैं।

दिल्ली की रेखा सरकार व्यवस्थाओं में सुधार करने के लिए नए-नए प्रयोग कर रही है, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व में लगातार जनमानस से जुड़े मुद्दों पर विशेष फोकस किया जा रहा है।

सरकार के मंत्री भी अपने स्तर पर अलग-अलग तरीके से जनता से जुड़ी समस्याओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं और समस्याओं को लेकर जनता से फीडबैक भी ले रहे हैं।

कौन सा विभाग है पंकज सिंह के पास है ?

दिल्ली सरकार में परिवहन व स्वास्थ्य मंत्री का विभाग डॉ. पंकज सिंह के पास है। पहली बार विधायक बने पंकज सिंह पूर्व में निगम पार्षद रह चुके हैं। इन्होंने अपने विभाग से संबंधित समस्याओं के बारे में नजदीक से देखने का और उनका हल करने का एक अलग तरीका निकाल रखा है। वह परिवहन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के कार्यालय में आम जनता बनकर घूम रहे हैं और वहां की व्यवस्थाओं का निरीक्षण कर रहे हैं।

बगैर विभाग और वहां के प्रशासन को बताए चुपचाप आम जनता बनकर विभाग में व्याप्त समस्याओं को नजदीक से देखने का यह उनका अपना तरीका है। वह परिवहन विभाग के कार्यालय के साथ-साथ पश्चिमी और बाहरी दिल्ली के अस्पतालों में आम जनता बनकर जा चुके हैं और लाइन में लगकर वहां की व्यवस्थाओं को जांचा है।

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पिछले दिनों एक अस्पताल में निरीक्षण के दौरान एक महिला कर्मचारी की नजर उन पर पड़ी, क्योंकि उनके पीछे पुलिसकर्मी चल रहा था। इसके बाद से वह अपने साथ चलने वाला सुरक्षा कर्मी को कुछ दूरी पर रख रहे हैं ताकि लोगों को यह न पता चल सके कि वह मंत्री हैं।

डॉ. पंकज सिंह कहते हैं कि यह समस्याओं को नजदीक से जानने का यह उनका अपना तरीका है। इससे सच्चाई पता चलती है। वो कहते हैं कि कहीं भी निरीक्षण के बारे में पहले से बात कर जाने और अचानक जाने में फर्क होता है। आप आम जनता बनाकर समस्याओं को देखते हैं तो सच्चाई आपके सामने होती है। जबकि किसी भी संस्थान में बात कर निरीक्षण करने पर जाने पर वहां काफी कुछ बदल जाता है। ऐसे में उन समस्याओं का ठीक से निवारण नहीं हो सकता जो जनता को उठानी पड़ती हैं।

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