हाल ही में पांच राज्यों, यूपी, गोवा, मणिपुर, उत्तराखंड और पंजाब जैसे राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से दूर रह गई। ऐसे में अब कांग्रेस के अपने ही नेता पार्टी नेतृत्व पर सवाल खड़े कर रहे हैं। बता दें कि पार्टी के दिग्गज नेता कपिल सिब्बल समेत जी-23 नेताओं ने पार्टी नेतृत्व को लेकर खुले आम असंतोष प्रकट करना शुरू कर दिया है।

गौरतलब है कि नतीजों के बाद कांग्रेस में विद्रोह का राग छिड़ चुका है। वैसे यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस इस हालत से गुजर रही है। इससे पहले भी पार्टी अपने ही नेताओं के बगावत से बिखरने के कगार पर जा चुकी है। 1967 तक चौधरी चरण सिंह कांग्रेस के साथ थे लेकिन उनके साथ छोड़ने के बाद कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में हार का सामना करना पड़ा।

इसके अलावा बंगाल में भी कांग्रेस को नुकसान तब झेलना पड़ा जब अजय मुखर्जी ने 1967 में अजय मुखर्जी सीएम थे। लेकिन उन्हें राज्यपाल द्वारा हटाए जाने के बाद उन्होंने राज्यपाल के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। इसके अलावा उन्होंने अपनी सरकार के खिलाफ भूख हड़ताल की। नतीजा ये रहा कि कांग्रेस को बंगाल में हार झेलनी पड़ी।

कांग्रेस के बड़े नेता जगजीवन राम 1977 में कांग्रेस छोड़ अपनी ‘कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी’ पार्टी बनाई और जनता पार्टी के साथ चुनावी मैदान में उतरे। नतीजों में कांग्रेस को केंद्र में हार का मुंह देखना पड़ा। इसके अलावा कांग्रेस से बगावत का सिलसिला 1987 में भी चला। जब वीपी सिंह ने राजीव गांधी के खिलाफ बोफोर्स की 410 तोपों का सौदों को लेकर मौर्चा खोल दिया। इसके लिए 1987 में वीपी सिंह को कांग्रेस से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। बाद में 1988 में उन्होंने नई पार्टी राष्ट्रीय मोर्चा बनाई और अगले चुनाव में केंद्र में गठबंधन की सरकार बनाई।

कांग्रेस के कमजोर होने में 1994 में नारायण दत्त तिवारी, अर्जुन सिंह की बगावत, 1996 में मूपनार का बड़ा हाथ रहा। जिसकी वजह से कांग्रेस केंद्र में सत्ता से दूर होती रही। वहीं 1997 में कांग्रेस से अलग ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस को खत्म कर दिया। 1999 में मुफ्ती मुहम्मद सईद, शरद पवार की बगावत से कांग्रेस को केंद्र में हार का सामना करना पड़ा।

तमाम बड़े नेताओं की असंतुष्टि के चलते कांग्रेस 2014 के बाद से सत्ता से जो दूर हुई वो 2019 में सफाए के रूप में दिखने लगी। वहीं अब पांच राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद अब फिर वरिष्ठ नेताओं की असंतुष्टि जाहिर हो रही है। जिसकी खामियाजा पार्टी कार्यकर्ताओं के मनोबल पर पड़ना तय माना जा रहा है।

कांग्रेस में घमासान!- कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार को केंद्रीय नेतृत्व से अलग होने की हिदायत दी है। इसपर दिल्ली कांग्रेस की चांदनी चौक यूनिट के जिला अध्यक्ष मिर्जा जावेद ने मांग की है कि कपिल सिब्बल को पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते उन्हें पार्टी से बाहर किया जाये। इसको लेकर उनकी तरफ से एक प्रस्ताव पेश किया है कि कपिल सिब्बल के खिलाफ जो भी कार्रवाई की जाएगी, उसको लेकर वो पार्टी के साथ है।