भारत सरकार ने 25 फरवरी को सूचना तकनीकि को लेकर नए नियमों को अधिसूचित किया है। इसका नाम सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 है। इस नियम पर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार का कहना है कि यह इससे इंटरनेट पर चलने वाले मीडिया संस्थानों और स्वतंत्र पत्रकारों के लिए खतरा हो जाएगा।

रवीश ने कहा ” सरकार ने डिजिटल प्लेफार्म के लिए नियम बनाते समय न्यूज चैनलों की नियामक संस्था न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) और प्रिंट मीडिया की नियामक संस्था भारतीय प्रेस परिषद का हवाला दिया है। क्या इन संस्थाओं के पास रेगुलेटर बनाने की पर्याप्त शक्तियां है। कहीं ऐसा तो नहीं कि इन दंतहीन संस्थाओं का हवाला देकर सरकार ने डिजिटिल जगत के लिए दैत्याकार नियंत्रण बना दिया है।”

रवीश ने अपने प्राइम टाइम शो में कहा “इसी साल 18 जनवरी को जब फर्जी टीआरपी का मामला आया तब एनबीए ने अर्णब के चैनल के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की। उस मांग का क्या हुआ एनबीए अर्णब के चैनल के खिलाफ खुद फाइन नहीं लगा सकती। ये बात प्रकाश जावड़ेकर ने नहीं बताई। या उन्हें बताने का मौका नहीं मिला होगा। इसकी जगह कोई ऐसा चैनल होता जो सवाल करता, तो एनबीए और अरकर दोनों सक्रिय हो जाते।”

रवीश ने कहा “एनबीए ने कहा था कि रेटिंग एजेंसी BARC से शिकायत की गई थी लेकिन उन्होने कुछ नहीं किया। इसका मतलब रेटिंग एजेंसी भी एनबीए की नहीं सुनता। सरकार सख्त नियम लाकर जिस संस्था का हवाला दे रही है उसके पास कोई खास शक्ति नहीं है। तमाम चैनलों के पास आज़ादी है कि वे एनबीए का सदस्य बनाना चाहते हैं या नहीं।”

इसको लेकर रवीश ने एक फेसबुक पोस्ट भी लिखा है। रवीश ने अपने प्राइम टाइम शो का लिंक शेयर करते हुए लिखा “यू ट्यूबर और अपनी वेबसाइट चलाने वालों पर लगाम लगाने की तैयारी: तैयारी तो हो चुकी है। सरकार ने आई टी एक्ट के तहत नए नियम बनाए हैं। इन नियमों के बारे में कहा जा रहा है कि आचार संहिता के नाम पर डिजिटल मीडिया का गला घोंटा जा रहा है।” रवीश ने कहा कि यह स्वतंत्र यू ट्यूब और अपना चैनल चलाने वालों के लिए खतरा है।

उन्होने लिखा “मीडिया को गोदी मीडिया बना देने के बाद जो भी जगह बची थी वो स्वतंत्र यू ट्यूब और अपना चैनल चलाने वालों के कारण बनी थी। सरकार के झूठ को चुनौती मिल रही थी। सरकार अगर अफ़वाहों और सांप्रदायिक ख़बरों को लेकर चिन्तित रहती तो उन पर कार्रवाई करती। वो ऐसा करके नहीं क्योंकि इससे उसकी राजनीति को फ़ायदा होता है।”

रवीश ने लिखा “सरकार आचार संहिता के नाम पर आस्था का हथियार अपने पास रखना चाहती है। उसके समर्थक और नेता ख़ुद दूसरे की आस्था पर हमले करेंगे तब सरकार के ये क़ानून अनदेखा कर देंगे। आई टी सेल के ज़रिए सोशल मीडिया पर गंध फैलाने का काम किसने किया और उससे किसे लाभ हुआ सब जानते हैं। आज तलक सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की।”