Ravi Shankar Prasad Interview: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकवाद को एक्सपोज करने के लिए भारत सरकार द्वारा बनाई गईं 7 डेलिगेशन अब पूरी दुनिया का दौरा करने जा रही हैं। उनकी तरफ से ना सिर्फ भारत का स्टैंड रखा जाएगा बल्कि पाकिस्तान के फर्जी प्रोपेगेंडा की हवा भी निकाली जाएगी। इस डेलिगेशन का एक अहम हिस्सा पटना साहिब से सांसद रवि शंकर प्रसाद भी हैं जिनसे जनसता ने खास बात की है।
सवाल- डेलिगेशन भेजने की क्या जरूरत, ऑपरेशन सिंदूर पर सपोर्ट नहीं मिला?
जवाब- भारत तो पहलगाम हमले के बाद भी एकजुट रहा। प्रधानमंत्री को लगा यह एकता का संदेश पूरी दुनिया तक जाना चाहिए। वैसे भी सिर्फ बीजेपी के सांसद नहीं जा रहे हैं, हर पार्टी से नेताओं को चुना गया है। एक का हिस्सा मैं हूं, एक के जयंत पांडा। लेकिन बाकी सभी डेलिगेन के सदस्य तो दूसरी पार्टी के हैं।
सवाल- आप किन देशों का दौरा करने वाले हैं?
जवाब– मैं फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, ब्रूसेल्स, बेलजियम और डेनमार्क के दौरे पर जाऊंगा। एक तरह से यूरोप कवर करूंगा।
सवाल- विपक्ष के मुताबिक ऑपरेशन सिंदूर को लेकर नहीं मिला इंटरनेशनल सपोर्ट?
जवाब- जो भी ऐसा सोच रहा है, वो पूरी तरह गलत है। कल ही फ्रांस की एक डेलिगेशन से मुलाकात हुई, उन्होंने भी अपना समर्थन हमें दिया है। उन्होंने कहा है कि स्थिति तनावपूर्ण है, लेकिन हम आपका समर्थन करते हैं। हमारे पास तो यूएन प्रस्ताव भी है, सभी दुनिया के नेताओं ने पीएम या फिर विदेश मंत्री से बात की है, अपनी संवेदनाएं प्रकट की हैं। ऐसे में समझ से परे है कि ऐसा निष्कर्ष किस आधार पर निकल रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं कि सिर्फ दो देशों का समर्थन हमें मिला। यहां भी तथ्य गलत ही है, गल्फ देश भी हमारा समर्थन कर रहे हैं, बात चाहे साऊदी अरब की हो, यूएई की हो या फिर कुवैत की, सभी ने अपने तरीके से हमे अपना समर्थन दिया है, फिर चाहे उन्होंने पीएम मोदी से बात की या फिर विदेश मंत्री से।
सवाल- किस तरह के सबूतों के साथ जाएंगे?
जवाब- भारत ने सैटेलाइट तस्वीरें जारी कर दी हैं। कई सुरक्षा जानकार अब मान रहे हैं कि भारत ने काफी असरदार तरीके से अपनी ताकत का अहसास करवाया है। इन्हीं सबूतों की वजह से शुरुआत में जो चुनिंदा रिपोर्ट्स पाकिस्तान को सपोर्ट कर रही थी, उन्हें भी निष्पक्ष होना पड़ा। बात चाहे न्यू यॉर्क टाइम्स की हो या फिर वॉशिंगटन पोस्ट की, सभी ने बाद में सफाई देते हुए सही तस्वीर पेश की।
सवाल- ऑपरेशन सिंदूर को न्यू नॉर्मल कहा गया, दूसरे देशों के साथ रिश्ते तो नहीं बिगड़ेंगे?
जवाब- पहले तो यह समझना जरूरी है कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है, सिर्फ भारत इससे पीड़ित नहीं है। फ्रांस में हमला हुआ था, ब्रूसेल्स में लोग मरे थे। लंदन में ट्यूब में अटैक हुआ था, अमेरिका के साथ 9/11 हुआ था। सभी हमलों में शक की निगाह पाकिस्तान पर ही गई थी। वहीं बात रही भारत के न्यू नॉर्मल की तो अब बहुत हो चुका है। भारत ने तो कूटनीतिक तरीके से रिश्ते सुधारने की कोशिश की थीष पीएम मोदी ने 2014 में अपने शपथ ग्रहण में नवाज शरीफ को बुलाया था या नहीं। उन्होंने तो नवाज की गुजारिश पर पाकिस्तान में उनके पोते की शादी के लिए एक स्टॉप ओवर तक लिया था। लेकिन बदले में हमें क्या मिला। ऐसे में अगर हमारा खून बहेगा तो हम भी जवाबी कार्रवाई करेंगे, जैसे इस बार आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया गया है। शांति जरूरी है, लेकिन किसी आम भारतीय की जान लेकर नहीं।
सवाल- विदेश सचिव से आप लोगों को कोई डॉजियर या कोई दूसरा सैंपल मिला?
जवाब- यह बताना मेरे लिए ठीक नहीं होगा। ब्रीफिंग को गोपनीय रहने देना चाहिए। लेकिन इतना जरूर कह सकता हूं कि हम यूरोपियन देशों के पास संदेश लेकर जा रहे हैं कि समय आ गया है कि अब आतंकवाद पर एकजुट होना होगा। आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, यह लोकतंत्र के खिलाफ है। बात रही ह्यूमन राइट्स की तो आतंकवाद के पीड़ितों का क्या। जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, जिन पत्नियों ने अपने पति खोए, क्या उनके मानवाधिकार नहीं है। इस पर डिबेट होना जरूरी है।
सवाल- राहुल गांधी और उनकी थ्योरी पर क्या बोलेंगे?
जवाब- मैं इस वाली डिबेट में नहीं जाना चाहता हूं, मुझे इतना जरूर पता है कि ज्यादातर कांग्रेसी नेताओं ने इस आइडिया का समर्थन किया है। मैंने उनके स्टेटमेंट देखें हैं, बात चाहे सलमान खुर्शीद की हो, मनीष तिवारी की हो, शशि थरूर तो पहले से ही वहां मौजूद हैं। वही बात अगर आप राहुल गांधी की करेंगे तो मैं उनसे बस एक ही बात कहना चाहूंगा वे अब विपक्ष के नेता हैं, यह बहुत ही जिम्मेदारी वाला पद होता है, उनको एक ही सुझाव है कि आप ऐसा कुछ क्यों बोलते हैं जिससे पाकिस्तान को खेलने का मौका मिलता है। क्या आपको नहीं लगता है कि अब समझने की जरूरत है कि दुनिया भी भारत के स्टैंड को, उसके वर्जन को समझ रही है, उन्हें भी इस बात का एहसास है कि मिलिट्री द्वारा सारे सबूत दिखाए गए हैं। ऐसे में आपको अपने विचारों के बारे में एक बार फिर सोने की जरूरत है।
रिपोर्ट- नीता शर्मा
