उत्तर प्रदेश के बरेली में एक अनूठे तरह का वैवाहिक विवाद देखने को मिला है। मामला इतना उलझा हुआ है कि सेशन कोर्ट के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए। सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर केस पहुंचा तो ट्रिपल बेंच भी इसमें उलझ गई। अदालत ने यूपी सरकार से पूछा है कि वो बताए कि इस सारे मसले पर उसका क्या कहना है। ट्रिपल बेंच उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें पति ने न्याय की गुहार लगाई है।
दरअसल डॉ. जावेद नामका शख्स 2011 से 2014 के दौरान एक युवती के साथ लिव इन में रहता था। दोनों के बीच पहले सब कुछ ठीक था। लेकिन फिर युवती शादी के लिए दबाव डालने लगी। जावेद ने मना किया तो युवती ने रेप का केस दर्ज करा दिया। उसका कहना था कि जावेद ने उसके साथ 2011 और 2014 के बीच में कई बार रेप किया। जावेद ने जेल जाने से बचने के लिए युवती से निकाह कर लिया। केस वापस हो गया। यही नहीं युवती ने पुलिस और कोर्ट को एफिडेविट में लिखकर दिया कि वो अपनी मर्जी से निकाह कर रही है। उसके ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं है।
निकाह के बाद हुआ विवाद तो खुलवा दिया पुराना मामला, जारी हो गए वारंट
निकाह के दो साल बाद तक कुछ समय तक सब कुछ ठीक चला। लेकिन कुछ समय बाद जावेद के ऊपर उसकी पत्नी दबाव बनाने लगी कि वो किसी दूसरी जगह पर जाकर रहे। जावेद ने उसकी बात नहीं मानी तो वो फिर से पुलिस स्टेशन गई और पुराने आरोपों के तहत शिकायत दर्ज करा दी। बरेली के चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट ने उसकी शिकायत पर समन जारी कर दिया। जावेद की पत्नी ने उससे मेंटीनेंस की भी मांग की है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी राहत देने से किया इनकार तो सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया केस
इसके बाद जावेद के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हो गए। उसने सेशन कोर्ट से गुहार लगाई पर राहत नहीं मिली। वो इलाहाबाद हाईकोर्ट पहुंचा तो वहां भी उसकी सुनवाई नहीं हुई। उसके बाद जावेन ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई। उसका कहना है कि पत्नी ने पहले भी उसे फर्जी केस में फंसाया था। अब वो फिर से उसी केस में उसको उलझा रही है जिसमें वो राजीनामा कर चुकी है। जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच भी मामले को देखकर उलझ गई। तीन जजों की बेंच ने यूपी सरकार से पूछा कि वो बताए कि सारे मामले में उसका क्या कहना है।