लोकसभा का सत्र शुरू हो चुका है और सभी सांसद शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा ले रहे हैं। रामपुर से सांसद बने मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी भी सोमवार के दिन सदन में मौजूद थे। वह संसद मार्ग की जामा मस्जिद के इमाम भी हैं।
सोमवार को जब घड़ी में दोपहर का 1 बजा तो मस्जिद में नमाज़ियों के बीच चर्चा शुरू हुई कि क्या आज इमाम साहब नमाज़ पढ़ाने पाएंगे? लेकिन यह चर्चा कुछ ही वक़्त बाद थम गई जब मोहिबुल्लाह नदवी (इमाम) मस्जिद की ओर आते दिखाई दिए। उन्होंने 30 नमाज़ियों को नमाज़ पढ़ाई। इससे पहले वह सदन में मौजूद थे और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के साथ संसद पहुंचे थे।
रामपुर सीट से दर्ज की जीत
मोहिबुल्लाह नदवी ने रामपुर लोकसभा से बीजेपी के मौजूदा सांसद घनश्याम लोधी को 87,000 वोटों से हराकर यह सीट जीती है। रामपुर के स्वार से आने वाले नदवी लखनऊ के दारुल उलूम नदवतुल उलमा में जाने से पहले जिले के एक मदरसा में पढ़ते थे। बाद में वे दिल्ली चले गए जहां उन्होंने अरबी में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके अलावा उन्होंने जामिया मिलिया इस्लामिया से इस्लामिक स्टडीज में मास्टर डिग्री भी हासिल की है।
साल 2005 से वह संसद मार्ग की इस मस्जिद में इमामत कर रहे हैं। संसद के ठीक सामने स्थित मस्जिद में इमाम होने के कारण उन्हें नमाज के दौरान राजनेताओं और अन्य प्रमुख व्यक्तियों से मिलने का लगातार मौका मिलता था। उन्होंने याद किया और बताया कि वह यहां पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम से भी मिल चुके हैं।
वह कहते हैं,”मैं अल्लाह का शुक्र अदा करता हूं कि इस ऐतिहासिक मस्जिद में मुझे नमाज पढ़ाने का मौका मिला है। यह एक ऐतिहासिक मस्जिद है, जहां स्वतंत्रता से पहले स्वतंत्रता सेनानियों को नमाज अदा करते देखा है।”
कैसे सियासत में आ गए?
इस सवाल के जवाब में मोहिबुल्लाह नदवी ने बताया कि पांच बार संभल से सांसद रह चुके शफीकुर्रहमान बर्क ने जनवरी में लखनऊ में समाजवादी पार्टी के मुख्यालय में उन्हें पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलवाया था और सुझाव दिया था कि उन्हें रामपुर से चुनाव लड़ाया जाए। अब लोकसभा सांसद मोहिबुल्लाह ने बताया कि वह अगले पांच साल में संसद में रामपुर में बेरोजगारी, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा के मुद्दे उठाने की योजना बना रहे हैं।
नमाज़ पढ़ाना जारी रखेंगे?
इस सवाल के जवाब में नदवी कहते हैं, “नमाज़ में बहुत कम समय लगता है – सिर्फ़ पांच-छह मिनट। और संसद भवन और मस्जिद परिसर में मेरे आवास के बीच की दूरी मुश्किल से 50 गज है।”