एक इंटरव्यू के दौरान योग गुरु रामदेव ने बताया था कि उन्होंने अपनी जिंदगी में जो पाया है खुद के दम पर पाया है। किसी की मेहरबानी से नहीं पाया है। न तो किसी कारपोरेट न ही किसी राजनीतिक पार्टी या व्यक्ति की मेहरबानी से कुछ हासिल किया है। रामदेव ने बताया था, ‘मैंने उल्टा इन लोगों को देने का काम किया है।’ रामदेव कहने लगे कि वे चाहते तो देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बन सकते थे। आगे भी बन सकते हैं लेकिन उन्हें वह पद चाहिए ही नहीं। वह उसके लिए बने नहीं हैं। वे योग के लिए बने हैं।

बता दें कि योग गुरु बाबा रामदेव ने कोविड -19 के उपचार में एलोपैथी पर उनकी कथित टिप्पणी को लेकर विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों की कार्यवाही पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। रामदेव ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) द्वारा दर्ज एफआईआर में दंडात्मक कार्रवाई से भी सुरक्षा मांगी है। रामदेव ने कथित तौर पर पटना और रायपुर शाखाओं में आईएमए द्वारा दर्ज की गई एफआईआर की कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की और एफआईआर को दिल्ली की एक अदालत में स्थानांतरित करने के लिए कहा है।
आईएमए ने पिछले महीने रामदेव के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी और एलोपैथी को “बेईमान और गलत रूप से पेश करने” पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी।

आईपी ​​एस्टेट पुलिस स्टेशन में दर्ज शिकायत में, शीर्ष चिकित्सा निकाय ने कहा कि रामदेव ने स्थापित और अनुमोदित तरीकों और दवाओं द्वारा कोविड रोगियों के इलाज के बारे में “जानबूझकर झूठी, आधारहीन और दुर्भावनापूर्ण जानकारी फैलाई” है।

छत्तीसगढ़ के रायपुर में पुलिस ने योग गुरु के खिलाफ आईएमए की छत्तीसगढ़ इकाई द्वारा दायर एक शिकायत पर एफआईआर दर्ज की थी।

जिसमें कथित तौर पर कोविड के इलाज के लिए चिकित्सा बिरादरी द्वारा इस्तेमाल की जा रही दवाओं के बारे में “झूठी” जानकारी फैलाने के लिए रामदेव पर धारा 188 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा), 269 (जीवन के लिए खतरनाक बीमारी के संक्रमण को फैलाने की लापरवाही से काम करने की संभावना), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) के तहत मामला दर्ज किया गया था।