मशहूर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपने ताजा लेख में उत्तराखंड की चार धाम परियोजना को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। अपने लेख में रामचंद्र गुहा ने बताया कि ‘हिमालय भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण प्राकृतिक संपदा है, जिसके बिना देश बचेगा ही नहीं।’ देश के इतिहास में हिमाचल की अहमियत के बारे में बताते हुए रामचंद्र गुहा ने लिखा कि हिमालय ने हमारी सीमाओं की घुसपैठ से रक्षा की, यह हमारी नदियों का स्त्रोत है और हिमालयी क्षेत्र जैव विविधता से भरपूर इलाका है। जो कि हमारे पर्यावरण के लिए बेहद अहम है।
एनडीटीवी की वेबसाइट पर लिखे लेख में रामचंद्र गुहा ने बताया कि चार धाम परियोजना हिमालय पर्वत श्रृंख्ला के लिए बेहद घातक है। इस परियोजना की लागत 12000 करोड़ रुपए है, जिसके तहत सड़कों को चौड़ा किया जाएगा और 900 किलोमीटर की सड़कें तैयार कर उत्तराखंड में मौजूद चारों धाम जमनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ा जाएगा। गुहा ने चार धाम परियोजना में सरकार पर घोर लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है कहा है कि इससे पर्यावरण के साथ ही मानव जीवन का भी भारी नुकसान हो सकता है।
इस परियोजना के बढ़ते विरोध के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विशेषज्ञों की एक कमेटी का गठन किया है, जिसने हाल ही में अपनी 800 पेज की रिपोर्ट पेश की है और बताया है कि इस प्रोजेक्ट से हिमालयी इलाकों में कितनी तबाही हो सकती है।
लेख के अनुसार, हिमालय पारिस्थितिकीय रूप से काफी संवेदनशील पर्वत है और भूकंप और बाढ़ का यहां काफी ज्यादा खतरा है। इसके बावजूद सरकार यहां कमर्शियल फोरेस्टरी, खनन, बड़े-बड़े बांध, हाईडिल प्रोजेक्ट और बेहिसाब पर्यटन को बढ़ावा देकर पहाड़ी इलाके में वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, जैव विविधता का विनाश, जंगलों की कटाई, लैंडस्लाइड, बाढ़ के खतरे को बढ़ा रही है। अब चार धाम परियोजना से यह खतरा कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगा।
गौरतलब है कि इस प्रोजेक्ट के लिए एनवायरमेंट इम्पैक्ट एसेसमेंट रिपोर्ट भी तैयार नहीं की गई है। बता दें कि पीएम मोदी ने दिसंबर 2016 में इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। सुप्रीम कोर्ट की कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में इस प्रोजेक्ट से उत्पन्न होने वाले खतरों के प्रति आगाह किया है।