अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के पहले चरण का काम इसी साल दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। राम जन्मभूमि ट्रस्ट की निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि उनका फोकस इस वक्त दिसंबर, 2023 है क्योंकि इस दौरान पहले चरण का काम पूरा किया जाना है। पहले चरण में ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा किया जाएगा, जिसमें कई स्ट्रक्चर्स के साथ तीर्थ यात्रियों के ठहरने और 2000 शौचालयों का काम किया जाना है। मंदिर में 4-5 साल की उम्र के रामलला कमल के फूल पर खड़ी हुई मुद्रा में नजर आएंगे। मूर्ति के डिजाइन और उसे स्थापित करने को लेकर विशेषज्ञों की टीम विशेष रिसर्च के साथ काम कर रही है। नृपेंद्र मिश्रा ने मंदिर की खूबियों से लेकर कितने चरणों में काम होगा और कौन सा चरण कब तक पूरा होगा, इसकी डिटेल में जानकारी दी है।
तीन चरणों में पूरा होगा मंदिर का निर्माण
इंडियन एक्सप्रेस के साथ बात करते हुए उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण कार्य तीन चरणों में पूरा किया जाना है। पहला चरण दिसंबर 2023 तक पूरा हो जाएगा और दूसरा चरण दिसंबर, 2024 तक, जबकि 2025 में तीसरा चरण यानी पूरा मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा। पहले चरण में ग्राउंड फ्लोर का काम पूरा किया जाएगा, लेकिन इसमें आइकनोग्राफी शामिल नहीं है। दूसरे चरण में फर्स्ट और सेकेंड फ्लोर का काम पूरा कर लिया जाएगा। 71 एकड़ में मंदिर का निर्माण किया जा रहा है। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि पहले चरण में भगवान राम के चारों ओर सात मंदिर बनाए जाएंगे। इसके साथ ही, मंदिर की बाहरी परिधि, तीर्थ सुविधा केंद्र और 2000 से अधिक शौचालय बनाने का काम भी दिसंबर, 2023 तक पहले चरण में पूरा कर लिया जाएगा।
क्या हैं मंदिर की विशेषताएं?
मंदिर के ग्राउंड फ्लोर पर ही गर्भगृह है, जहां पर रामलला की 51 इंच की मूर्ति विराजमान की जाएगी। नृपेंद्र मिश्रा ने बताया कि रामलला की मूर्ति को कमल के फूल में स्थापित किया जाएगा। जो मूर्ति स्थापित की जाएगी उसमें रामलला 4 से 5 साल की उम्र के नजर आएंगे। मूर्ति में रामलला की खड़ी हुई मुद्रा में नजर आएंगे। इस पूरे स्ट्रक्चर की ऊंचाई 8 फीट होगी। मूर्ति को इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि रामनवमी के दिन दोपहर 12 बजे सूरज की रोशनी सीधे रामलला के माथे पर पड़े। इसके लिए विशेषज्ञों ने खास रिसर्च की है और 19 सालों तक सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति को ध्यान में रखते हुए यह डिजाइन फाइनल किया गया है। यह काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट और पुणे में एस्ट्रोनॉटिकल इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञों द्वारा काम किया जा रहा है।
नृपेंद्र मिश्रा ने इस दौरान, राम मंदिर आंदोलन, शिलान्यास, बाबरी मस्जिद विध्वंस और सुप्रीम कोर्ट के फैसले समेत विभिन्न बिंदुओं पर बात की। उन्होंने कहा कि 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले में कोई विजेता या कोई पराजित पक्ष नहीं था, बल्कि कोर्ट ने मस्जिद के लिए भी जमीन आवंटित की थी। उस पर भी काम चल रहा है। दोनों ही काम भक्तों द्वारा किए जा रहे हैं। किसी भी निर्माण कार्य में सरकार द्वारा फंडिंग नहीं की जा रही है।
आंदोलन से जुड़े पुराने किस्सों को किया याद
उन्होंने पुराने समय को याद करते हुए कहा, “जब आंदोलन शुरू हुआ, उस समय मैं यूपी में था। मैं स्वर्गीय मुलायम सिंह जी का प्रधान सचिव था। यही वह समय था जब फायरिंग (कार सेवकों पर, अक्टूबर 1990) हुई थी। कई बार ऐसा लगा कि कुछ परिणाम निकल सकता है, लेकिन प्रयास विफल रहे। गलती यह थी कि इसे केवल प्रशासनिक मसले के तौर पर निपटाया गया। अगर इसे थोड़ा अलग तरीके से निपटाया जाता तो शायद थोड़ा और सकारात्मक परिणाम मिल सकता था।”
उन्होंने आगे कहा, “फिर दूसरा भाग आया जब कल्याण सिंह जी थे। और, फिर से आंदोलन शुरू हो गया। जब विध्वंस हुआ तब मैं उनका प्रधान सचिव नहीं था। दिसंबर (1992) में इमारत (बाबरी मस्जिद) गिराए जाने से चार महीने पहले मैंने ग्रेटर नोएडा और नोएडा का अध्यक्ष बनने के लिए वह पद छोड़ दिया था। दोनों धर्मों को एक साथ लाने के लिए स्वर्गीय चंद्रशेखर जी द्वारा एक और गंभीर प्रयास किया गया, लेकिन उनका कार्यकाल काफी कम समय का था। अन्य लोगों ने भी प्रयास किए, मुझे अन्य प्रधानमंत्रियों के प्रयासों को कमतर नहीं आंकना चाहिए। फैसला सुनाने से पहले न्यायपालिका ने भी यही किया।
उन्होंने बताया कि उनका फोकस इस समय सिर्फ दिसंबर, 2023 पर है। उन्होंने कहा कि सोने से पहले और सोकर उठने के बाद मेरा ध्यान मंदिर के फर्स्ट फेज की डेड लाइन पर होता है। उन्होंने कहा, “मैं देश को निराश नहीं करना चाहता। मैं चाहता हूं कि भगवान यहां स्थापित हों।” उन्होंने आगे कहा कि हमें युवाओं को अयोध्या और राम मंदिर के बारे में समझाना चाहिए। वह अयोध्या और रामलला के बारे में गूगूल पर ढूंढते हैं। हमें उन्हें बताना चाहिए कि अयोध्या और रामलला उनसे कितने जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि 30-45 साल की उम्र की जेनरेशन इस बात को लेकर काफी गंभीर है कि भारत को एक बड़ी शक्ति बनना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें बेकार के विवादों में नहीं जाना चाहिए और युवाओं को देश पर गर्व है और मंदिर के निर्माण और इसके महत्व के साथ उन्हें देश पर गर्व करने की एक और वजह मिलेगी।