सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की सुनवाई गुरुवार (10 जनवरी) को फिर टल गई। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 29 जनवरी को होगी। दरअसल, मुस्लिम पक्षकार राजीव धवन ने सुनवाई के लिए गठित की गई संविधान पीठ में जस्टिस यूयू ललित की मौजूदगी पर सवाल उठाया था, इस पर जस्टिस ने खुद को पीठ से अलग कर लिया। राजीव धवन का कहना था कि यूयू ललित कल्याण सिंह के वकील रह चुके हैं। वहीं, गुरुवार को सुनवाई से पहले बाबरी मस्जिद के एक याचिकाकर्ता हाजी महबूब ने संविधान पीठ पर सवाल उठाया था। हाजी महबूब का कहना था कि संविधान पीठ में कम से कम एक मुस्लिम जज होना चाहिए था। उन्होंने मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को सिर्फ एक दिखावा करार दिया था। हाजी महबूब ने मीडिया से बातचीत में कहा था, ”आज भी अगर बेंच बनी है तो बेंच में तो.. भई हिंदुस्तान में खाली हिन्दू ही तो हैं नहीं, ये मुसलमान का भी हक है रहने का हिंदुस्तान में.. तो उस तरीके से उनका भी हक होना.. हमारा भी हक होना चाहिए.. एक तो मुसलमान जज होना जरूरी था.. लाजमी था.. तो अगर कोई भी बात होती है तो वो अपना साख रखता कि हां ये होना चाहिए.. ये होना चाहिए.. इसका मतलब मैं तो मानता हूं ये सिर्फ एक दिखावा है.. जो करना है उनको करेंगे.. क्योंकि सामने इलेक्शन है.. 2019 का इलेक्शन है।”
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला करीब 9 वर्षों से लटका है। मंदिर विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में फैसला सुनाया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2.77 एकड़ की विवादित भूमि को रामलला, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच बराबर बांटने का फैसला सुनाया गया था जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं डाली गई थीं।
Ahead of the crucial hearing, another twist in Ayodhya Case, controversy over bench composition, original petitioner Haji Mehboob questions all Hindu bench, fears anti-Muslim bias #AyodhyaCase pic.twitter.com/h1dk6C5Q2x
— TIMES NOW (@TimesNow) January 10, 2019