अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम होना है। देशभर में इस कार्यक्रम की चर्चा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश की कई हस्तियां इस कार्यक्रम में शामिल होने वाली है। राम मंदिर के निर्माण का मुद्दा बहुत पुराना रहा है, जिसे लेकर देश के दो अहम समुदायों की अपनी-अपनी राय रही है। 1992 में हुए बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद यह मामला लंबे वक़्त तक न्यायलय के अधीन रहा और फिर कोर्ट ने अपना आदेश सुनाया, जिसके बाद अब राम मंदिर का निर्माण हो रहा है।
तीन दिन बाद होने जा रहे इस कार्यक्रम को लेकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्र क्या सोचते हैं, यह जानने के लिए इंडियन एक्सप्रेस ने AMU कैंपस का दौरा किया। जानिए क्या है छात्रों की राय।
क्या है AMU के छात्रों की राय?
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कैंपस में मौजूद जाकिर हुसैन कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से सटे कैंटीन में बड़ी तादाद में छात्रों का हुजूम होता है। यहां MSc के छात्र रितिक, विवेक और शिवम इस मुद्दे पर बात करते हुए अपनी-अपनी राय देते हैं। तीनों ही छात्र ब्राह्मण हैं। इस बात को लेकर उनका एकमत है कि यह आयोजन लाखों हिंदुओं की आस्था का विषय है, इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। इनमें से एक छात्र कहता है, ”यह हिंदू स्वाभिमान का मामला है।”
जहां रितिक मंदिर का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देते हैं, वहीं विवेक बीच में कहते हैं कि इसका श्रेय लालकृष्ण आडवाणी और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण को जाना चाहिए।
कैंटीन में दूसरी तरफ बैठे मुस्लिम समुदाय से आने वाले चार छात्र इस सवाल को सावधानी से टाल देते हैं, हालांकि इनमें से कुछ कहते हैं कि कोर्ट के फैसले के बाद कोई समस्या नहीं है। इनमें से एक छात्र रियाज बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए कहते हैं,”इस मुद्दे को लेकर राजनीति नहीं होनी चाहिए, हम इस वजह से वास्तविक मुद्दों से दूर हो रहे हैं।” इनमें से कुछ छात्र स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर सवाल उठाते हैं तो कुछ की चिंता बीजेपी की राजनीति है, उनका मानना है कि बीजेपी ने देश का जो हाल किया है उसे ठीक करने में कई साल लग जाएंगे।
वोट की राजनीति है…
AMU से पीएचडी कर रहे ओबैद कहते हैं कि वह मंदिर को लेकर बीजेपी की राजनीति से आश्चर्यचकित नहीं हैं। वह कहते हैं, “सभी राजनीतिक दल सत्ता में बने रहने के लिए काम करते हैं। उन्हें लगता है कि इससे उन्हें चुनाव जीतने में मदद मिलेगी… यह तभी बदलेगा जब लोग इन मुद्दों पर वोट देना बंद कर देंगे।” ओबैद कहते हैं उन्होंने लोकतंत्र में अपना विश्वास नहीं खोया है। वह चाहते हैं कि मुसलमान अपनी शिक्षा और बेहतरी पर ध्यान दे और भाजपा की सियासत में ना उलझे।
एक अन्य छात्रा कहती है कि जो विश्वास का क्षण होना चाहिए था वह एक निश्चित राजनीतिक आख्यान बन गया है। यहीं मौजूद एक अन्य छात्रा मुसलमानों के साथ हो रहे व्यवहार पर बात करते हुए कहती है कि जो कुछ हो रहा है ठीक नहीं है।