जब-जब चुनाव का वक्त आता है, तब-तब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मुद्दा गरम हो जाता है। पिछले दिनों भी पांच राज्यों खासकर हिन्दी पट्टी के तीन राज्यों (मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान) के विधान सभा चुनाव के समय यह मुद्दा गर्माया था लेकिन चुनाव खत्म होते ही मामला ठंडा पड़ गया। दरअसल, श्रीराम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का आंदोलन कई चरणों में कई बार इसी तरह की तेजी और सुस्ती देख चुका है। करीब 31 साल पहले जब आंदोलन की वजह से ऐसे हालात बने और लगा कि अब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो जाएगा, तब खुद आंदोलन की अगुवाई कर रहे विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कदम पीछे खींचने को कहा था। यह बात वरिष्ठ पत्रकार और अयोध्या विकास ट्रस्ट के संयोजक शीतला सिंह की किताब ‘अयोध्या- रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद का सच’ के हवाले से सामने आई है। वेबसाइट ‘सत्य हिन्दी’ ने इस बारे में एक लेख छापा है जो सोशल साइट पर खूब शेयर हो रहा है।
सिंह ने तत्कालीन के एम शुगर मिल्स के मालिक लक्ष्मीकांत झुनझुनवाला (विहिप नेता विष्णुहरि डालमिया के करीबी) से बातचीत के आधार पर अपनी किताब में पेज नंबर 110 पर लिखा है, “झुनझुनवाला फ़ैज़ाबाद लौटे, मैंने पूछा कि क्या हुआ तो उन्होंने कहा कि पांचजन्य व आर्गनाइजर के 27 दिसंबर 1987 के अंक में खबर छपी है कि रामभक्तों की विजय हो गई, कांग्रेस सरकार मंदिर बनाने के लिए विवश हो गई, इसके लिए ट्रस्ट बन गया। इसे राम मंदिर आंदोलन की सफलता बताया गया था। पांचजन्य के मुखपृष्ठ पर विहिप महामंत्री अशोक सिंहल की फोटो छपी थी। झुनझुनवाला ने बताया कि उस दिन दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय केशव सदन: झंडेवालान में एक बैठक हुई थी जिसमें संघ प्रमुख बाला साहेब देवरस भी उपस्थित थे। उन्होंने सबसे पहले अशोक सिंहल को तलब करके पूछा कि तुम इतने पुराने स्वयंसेवक हो, तुमने योजना का समर्थन कैसे कर दिया?”
किताब में आगे विवरण दिया गया है, “सिंघल ने कहा, ‘हमारा आंदोलन तो राम मंदिर के लिए ही था। यदि वह स्वीकार होता है तो उसका स्वागत करना चाहिए।’ इस पर देवरस उन पर बिफर गए और कहा, ‘तुम्हारी अक्ल क्या घास चरने चली गई है? ‘इस देश में 800 राम मंदिर विद्यमान हैं, एक और बन जाए, तो 801वाँ होगा। लेकिन यह आंदोलन जनता के बीच लोकप्रिय हो रहा था, उसका समर्थन बढ़ रहा था जिसके बल पर हम राजनीतिक रूप से दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति तक पहुँचते। तुमने इसका स्वागत करके वास्तव में आंदोलन की पीठ पर छूरा भोंका है।’ यह प्रस्ताव स्वीकार नहीं होगा।“ बतौर किताब, “जब सिंहल ने बताया कि इसमें तो मंदिर आंदोलन के अवेद्यनाथ, जस्टिस देवकीनंदन अग्रवाल सहित स्थानीय तथा बाहर के कई नेता शामिल हैं; तो उन्होंने कहा कि इससे बाहर निकलो क्योंकि यह हमारे उद्देश्यों की पूर्ति में बाधक होगा।”
सिंह ने अपनी किताब में लिखा है कि सरकार द्वारा बनाए गए ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास थे और राम जन्मभूमि न्यास के अगुआ परमहंस रामचंद्र दास इसके सदस्य थे। ये दोनों विहिप के राम मंदिर आंदोलन के बड़े नेता थे। ट्रस्ट बाबरी मस्जिद को बिना नुकसान पहुंचाए आधुनिक तकनीक के सहारे दूसरी जगह स्थानांतिरत कराना चाहता था। शुरू-शुरू में मुस्लिम नेता इसे संघ की एक चाल समझते थे लेकिन जब उन्हें समझाया गया तो वो राजी हो गए थे। सिंह ने लिखा है, “महंत अवैद्यनाथ ने कहा कि हां, हमें स्वीकार्य है, बच्चा मंदिर बनवाय देव, इन सरवन (यानी विहिप में आरएसएस नेताओं के बारे में) को तो केवल वोट और नोट चाही।”
वरिष्ठ पत्रकार और आप के पूर्व नेता आशुतोष ने इस खबर को सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसे लगभग डेढ़ हजार लोगों ने रिट्वीट किया है और साढ़े तीन हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है। कई लोग इस पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं। अधिकांश यूजर्स ने आशुतोष को ट्रोल किया है। एक यूजर ने लिखा है, “ये शीतला सिंह कम्युनिस्ट विचारधारा के है। मैं अयोध्या से हूँ। इनका अखबार जनमोर्चा एक कम्युनिस्ट छोटा अखबार है । इसलिए ये ऊलजलूल खबरे दे रहे है जिसे आपिये,कांगिये समर्थित लोग हवा दे रहे है। इस खबर का विश्वास नहीं किया जा सकता। इन जैसो को आर एस एस जैसे राष्ट्रवादी संगठन से चिढ है।” कुछ ने समर्थन में भी प्रतिक्रिया दी है।
you could be right as narsimha rao allowed to babri masjid to be demolished so that Ram mandir comes up and then BJP won't do politics over it. But it killed 6000 people.
— Sachin (@sxpati2) December 25, 2018
This is the very serious issue , each and every Indian should understand the double standard of Bharti Janta Party (BJP) and RSS about building Ram Mandir at Ayodhaya, RSS is the Political wing of BJP,
They do not have to do anything with the Temple, just to gain power doing it
— Kavindra Singh (@Sing365K) December 25, 2018
किताब में लिखा हर बात सही है क्योंकि बीजेपी के विरोध में है।।
कुछ किताब में ये भी लिखा है कि ये जगह पे पहले राम मंदिर था, उसको तो तुम मानोगे नही ।।लेकिन शीतला जी जो बोलेगी उसको तुम मानोगे ।।
वो किताब है प्रूफ नही ।।।
कैसे तुम लोग पत्रकार बन गए भइया??
— Hemant Kumar (@hemant24march) December 25, 2018
ये शीतला सिंह कम्युनिस्ट विचारधारा के है। मैं अयोध्या से हूँ। इनका अखबार जनमोर्चा एक कम्युनिस्ट छोटा अखबार है । इसलिए ये ऊलजलूल खबरे दे रहे है जिसे आपिये,कांगिये समर्थित लोग हवा दे रहे है। इस खबर का विश्वास नहीं किया जा सकता। इन जैसो को आर एस एस जैसे राष्ट्रवादी संगठन से चिढ है
— Gopal Ji (@GopalJi24191132) December 25, 2018
मान लो कि ये सच है तो क्या? तुम्हे राम मंदिर से पेट मे क्यों दर्दा होता है? काहे बहुमति प्रजा का रोष सर पे ले लेते हो? जिसने तुम्हे एक चाटा लगाया था उनकी शिष्या के बारे मे कभी बोला? क्यों?
— Bharat (@BharatS56107631) December 25, 2018
It all started with planting idols in 1949 to take political advantage & till date its going on. Fooling people is so easy in India.
— Garryਗੈਰੀ I.N.D.I.A. (@Garrychakde) December 25, 2018