अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का दिन आ गया है। राम मंदिर में रामलाल की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न होने जा रही है। 500 साल के इंतजार के बाद अयोध्या के इतिहास में ये सुनहरा पल दर्ज होने जा रहा है। हजारों मेहमान इस मौके के गवाह बनने जा रहे हैं। पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर उनके कई मंत्री तक, बॉलीवुड के दिग्गज से लेकर खेल जगत के महारथी तक, सभी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने जा रहे हैं। लेकिन सियासत एक ऐसा खेल जिसने यहां भी दलों को बांटने का काम कर दिया है।
कई ऐसी पार्टियां हैं, कई ऐसे नेता हैं जिन्होंने आज इस प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आने से मना कर दिया है। किसी के लिए ये बीजेपी का एक सरकारी इवेंट बनकर रह गया है तो कोई इसे चुनावी नफा-नुकसान की नजर से देख रहा है। सभी के कारण अलग हैं, लेकिन राम नगरी तक उनका ना पहुंचना समान है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का इतिहास तो राम मंदिर के साथ भी जुड़ा हुआ है। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को तो बाबरी मस्जिद के ताले खोलने का श्रेय तक दिया जाता है।
लेकिन आज उसी कांग्रेस ने अयोध्या के इस कार्यक्रम से दूरी बना ली है। पार्टी ने तर्क दिया है कि ये संघ और बीजेपी का इवेंट है। राहुल गांधी ने तो यहां तक कहा था कि वे सभी धर्मों को साथ लेकर चलने में मानते हैं। अब जब वे कार्यक्रम में नहीं आने जा रहे हैं, उनकी उपस्थिति इस समय भारत जोड़ो न्याय यात्रा में दिखने वाली है। वे आज असम से होते हुए अपनी यात्रा को दूसरे राज्य में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं। यानी कि जिस समय प्राण प्रतिष्ठा चलेगी, राहुल की न्याय दिलवाली की यात्रा भी परवान चढ़ेगी।
अब राहुल गांधी अगर अपनी यात्रा में व्यस्त रहने वाले हैं, तो दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली गई है। आज दिल्ली के एक अलग-अलग इलाकों से शोभा यात्रा निकलने जा रही है। आम आदमी पार्टी द्वारी ही इन यात्राओं को हरी झंडी दिखाई जाएगी। इसके अलावा पूरी राजधानी में बड़े स्तर पर भंडारे की तैयारी भी की गई है। इसके साथ-साथ रामलीला मंचन भी चलने वाला है। वैसे अरविंद केजरीवाल को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता मिल भी नहीं पाया था, उन्होंने इसके अपने कारण भी बता दिए थे।
बात अगर उद्धव ठाकरे की करें तो वे भी अयोध्या से आज दूरी बनाकर चल रहे हैं। वे आज सोमवार नासिक में स्थित कालाराम मंदिर जाने वाले हैं, वहां जाकर वे महाआरती में शामिल होंगे। इसके अलावा भी वे कुछ दूसरे धार्मिक कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाएंगे। उनका कहना है कि 22 जनवरी के बाद जब भी मौका लगेगा, वे अयोध्या चले जाएंगे। वैसे हाल ही में स्पीड पोस्ट के जरिए उद्धव को प्राण प्रतिष्ठा का न्योता आ गया था।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी अयोध्या आना मुश्किल है। वे अपने राज्य में करपूरी ठाकुर की जयंती पर दो दिन का एक बड़ा कार्यक्रम करने जा रहे हैं। बताया जा रहा है इसी कार्यक्रम के आखिरी दिन वे एक विशाल रैली को भी संबोधित करेंगे। हर साल बिहार में करपूरी ठाकुर की जयंती मनाई जाती है, लेकिन इस बार टाइमिंग का सारा खेल है और नीतीश के एनडीए के साथ फिर जाने का बाजार भी गर्म चल रहा है।
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तो पहले से ही प्राण प्रतिष्ठा से सोशल डिस्टेंसिंग कर ली थी। उन्होंने इसे अपनी विचारधारा के खिलाफ माना था। इसी वजह से आज उनकी तरफ से बंगाल में सदभावना रैली निकाली जाएगी। काली मंदिर से इस रैली को शुरू किया जाएगा और इसमें सभी धर्मों के लोग हिस्सा लेंगे। उनकी तरफ से एक जनसभा को भी संबोधित किया जाएगा जिसमें सभी धर्मगुरुओं को शामिल कर एक बड़ा सियासी संदेश देने का काम होगा।