अयोध्या में इन दिनों माहौल काफी गरमाया हुआ है। विश्व हिंदू परिषद और अन्य हिंदू संगठनों द्वारा अयोध्या में 25 नवंबर को एक विशाल जनसभा का आयोजन किया गया है, जिसके चलते बड़ी संख्या में हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या की तरफ रवाना हो रहे हैं। इसके चलते प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। बता दें कि अयोध्या में फिलहाल सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए 160 पुलिस इंस्पेक्टर, 700 कॉन्सटेबल, 42 कंपनी पीएसी, 5 कंपनी रैपिड एक्शन फोर्स और एंटी टेरेरिस्ट स्कवाड कमांडो के साथ ही ड्रोन कैमरों से अयोध्या के चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है। वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अयोध्या के हालात पर चिंता जतायी है और अपने एक बयान में कहा है कि “भाजपा ना सुप्रीम कोर्ट और ना ही संविधान में विश्वास रखती है। ये पार्टी किसी भी हद तक जा सकती है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में जिस तरह का माहौल है, खासकर अयोध्या में, सुप्रीम कोर्ट को इसपर नोटिस लेना चाहिए और यदि जरुरत हो तो आर्मी भेजनी चाहिए।”

केन्द्र और महाराष्ट्र सरकार में भाजपा की सहयोगी शिवसेना राम मंदिर के मुद्दे पर काफी सक्रियता दिखा रही है और पार्टी के नेता भी अयोध्या पहुंच रहे हैं। शिवसेना केन्द्र सरकार से राम मंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश लाने की मांग कर रही है। शिवसेना के नेता संजय राउत ने अपने एक बयान में कहा है कि “हमने 17 मिनट में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था, तो कानून बनाने में कितना वक्त लगता है? राम भक्तों ने मिनटों में धब्बा हटा दिया था, जो कि सालों से यहां था…तो कागज बनाने में कितना वक्त लगता है।” शिवसेना भाजपा पर राम मंदिर के मुद्दे पर दबाव बनाने का प्रयास कर रही है।

वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा और इससे पार्टी के स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आया है। पार्टी के नेताओं द्वारा भी भड़काऊ बयानबाजी की जा रही है। भाजपा विधायक सुरेंद्र सिंह का कहना है कि “यदि ऐसी स्थिति आयी तो हम कानून अपने हाथ में लेकर भी संवैधानिक तौर पर, कानूनी तौर पर या किसी दूसरे तरीके से भी राम मंदिर बनाएंगे।” बता दें कि 6 दिसंबर, 1992 को हिंदू संगठनों के कारसेवकों ने 16वीं सदी में बनी बाबरी मस्जिद ढहा दी थी। हिंदू संगठनों का मानना है कि यह भगवान राम का जन्मस्थान है और बाबरी मस्जिद एक प्राचीन मंदिर को तोड़कर बनायी गई है।