लोकसभा चुनाव से पहले कल होने वाले राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर सभी की नजरे हैं। राजनीतिक तौर पर यह मुद्दा कैसे काफी साबित होने वाला है यह चर्चा भी काफी अहम है। उत्तर प्रदेश और खासतौर पर यादव बेल्ट में मंदिर निर्माण के मुद्दे का कितना प्रभाव है और यहां लोग क्या सोचते हैं, इसपर इंडियन एक्स्प्रेस ने एक ग्राउंड रिपोर्ट शाया की है।
क्या कहते हैं लोग?
उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले के एक छोटे से कस्बे कुरावली के बाजार को रोशनी और श्री राम के झंडों से सजाया जा रहा है। शहर से सटे अशोकपुर गांव के 28 वर्षीय अजयपाल सिंह काफी खुश नजर आते हैं। वह कहते हैं, “लोगों की आस्था सदियों से राम से जुड़ी हुई है और 22 जनवरी को दशकों की तपस्या सच हो जाएगी। हमारे लिए योगी-मोदी के राज में यही रामराज्य है। 22 जनवरी के बाद सभी देवता पृथ्वी पर आएंगे, यह हमारा विश्वास है।
मध्य यूपी में मैनपुरी-इटावा बेल्ट को समाजवादी पार्टी (एसपी) का गढ़ माना जाता है। मैनपुरी सपा के दिवंगत संस्थापक मुलायम सिंह यादव का घर है और यहां यादवों का वर्चस्व है। मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव फिलहाल मैनपुरी से सांसद हैं। मैनपुरी और इटावा जिलों में लोधी राजपूतों और शाक्य-कुशवाहों की भी बड़ी आबादी है और यह भाजपा के पारंपरिक मतदाता हैं।
यूपी की राजनीति में अगर बीजेपी मंदिर की पार्टी है, तो मुलायम वह शख्स हैं, जिनके मुख्यमंत्री रहते हुए 30 अक्टूबर और 2 नवंबर, 1990 को राम जन्मभूमि स्थल की ओर बढ़ रहे कार सेवकों पर गोलियां चलाई गईं, जिसमें 20 से ज्यादा लोग मारे गए। जब राज्य में कल्याण सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार थी तभी बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया था। बीजेपी चाहती है कि लोग इसे कभी न भूलें लेकिन 30 साल बाद ये तथ्य इतिहास में धुंधले हो जाते हैं।
मंदिर उद्घाटन से पहले फिलहाल मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव ने कहा, ‘अगर न्योता मिला तो हम जाएंगे।’ जबकि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बहुत आखिर में यह बयान दिया कि वह मंदिर के निर्माण से बहुत खुश हैं और जल्द मंदिर का दौरा करेंगे।
क्या राम मंदिर से मिलेगी नौकरी?
कुरावली से दो किलोमीटर दूर यादव बहुल महादेवा गाँव में शैलेन्द्र यादव मंदिर निर्माण पर मज़ाक बनाते हुए कहते हैं,“राम मंदिर का क्या मतलब है। क्या यह हमें नौकरियाँ देगा? अगर जो पैसा मंदिर पर लगा है वही पैसा गरीब लोगों पर खर्च किया जाता, तो इससे कुछ फायदा होता।”
हालांकि गांव के अन्य लोगों की राय इससे थोड़ी अलग है। कंप्यूटर सेंटर चलाने वाले और अपने घर पर सपा का झंडा लगाने वाले 30 वर्षीय सिप्पू यादव कहते हैं, “मुसलमानों के पास मक्का-मदीना है। हिंदुओं के पास भी ऐसी कोई जगह होनी चाहिए, हम सभी राम की पूजा करते हैं. अब राम मंदिर हिंदुस्तान में नहीं बनेगा, तो क्या पाकिस्तान में बनेगा?” लेकिन सिप्पू भी इस कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार से सहमत नहीं है, और उद्घाटन में शामिल न होने के अखिलेश यादव के फैसले का समर्थन करते हैं। जबकि कुछ लोग मानते हैं कि श्री राम दलगत राजनीति से ऊपर उठकर है।
ऐसे भी कुछ लोग हैं जिन्हें अयोध्या जाने में दिलचस्पी है लेकिन वह कहते हैं कि वोट सपा को ही देंगे। कुछ किलोमीटर दूर सिंघपुरा गांव में 19 वर्षीय छात्र सुमित यादव पूछते हैं कि अभिषेक समारोह मोदी-योगी कार्यक्रम क्यों बन गया है।