सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के मुद्दे पर सोमवार को हुई सुनवाई में इस मामले को जनवरी तक टाल दिया है। जिस पर कई लोगों ने निराशा जाहिर की है। अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहने वाले हरियाणा सरकार के मंत्री अनिल विज ने इस मुद्दे पर कहा है कि “सुप्रीम कोर्ट महान है, जो चाहे वो करे। चाहे याकूब मेमन के लिए रात के 12 बजे सुप्रीम कोर्ट को खोले, चाहे जो राम मंदिर का विषय है, जिस पर लोग टकटकी लगाकर देख रहे हैं, उसको तारीख पर तारीख मिले। ये तो सुप्रीम कोर्ट की मर्जी है।” अनिल विज ने टाइम्स नाउ के साथ बातचीत में ये भी कहा कि सरकार को लोकसभा में राम मंदिर के मुद्दे पर अध्यादेश लाना चाहिए। बता दें कि 1993 बम ब्लास्ट के आरोपी याकूब मेमन की दया याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में रात 3 बजे सुनवाई हुई थी। हालांकि इस सुनवाई के बाद याकूब मेमन की दया याचिका को खारिज कर दिया गया था जिसके बाद याकूब मेमन को फांसी दे दी गई थी।
सोमवार को राम मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई पर सभी की नजरें टिकी थीं। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ, जिसकी अध्यक्षता चीफ जस्टिस रंजन गोगोई कर रहे थे और उसमें जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल थे, ने राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई की। लेकिन सिर्फ 4 मिनट की सुनवाई के बाद पीठ ने सुनवाई को जनवरी तक स्थगित कर दिया। बेंच ने कहा कि ‘उनके पास अन्य प्राथमिकताएं भी हैं।’ वहीं कोर्ट द्वारा राम मंदिर मुद्दे पर सुनवाई स्थगित करने पर कई भाजपा नेताओं ने निराशा जाहिर की है। साथ ही अब राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश लाने की आवाजें उठने लगी हैं। भाजपा नेता गिरिराज सिंह ने अपने एक बयान में कहा भी है कि उन्हें डर है कि यदि राम मंदिर के मुद्दे पर और देरी होती है तो उसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
गिरिराज सिंह ने कहा कि ‘अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है। मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा?’ भाजपा नेता विनय कटियार ने आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस के दबाव में इस मुद्दे पर देरी की जा रही है। कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण जैसे लोग इस मुद्दे पर देरी के लिए दबाव बना रहे हैं। भाजपा सांसद संजीव बालियान का कहना है कि ‘वह कोर्ट की अन्य प्राथमिकताओं से आश्चर्यचकित हैं। मेरा मानना है कि राम मंदिर का निर्माण होना चाहिए। सरकार को अन्य सभी विकल्पों पर विचार करना चाहिए।’