समाजवादी पार्टी ने राम मंदिर कार्यक्रम में जाने से मना कर दिया है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा है कि जिसके जरिए उन्हें निमंत्रण दिया गया, वे उन्हें जानते तक नहीं, ऐसे में उस निमंत्रण को स्वीकार कैसे कर लेते। अब कारण जो भी हो, सपा प्रमुख ने कार्यक्रम से दूरी बना ली है। लेकिन उस दूरी ने पार्टी के अंदर भी दूरियां ला दी हैं। तभी तो सपा के ही दूसरे नेता अखिलेश से अलग होकर राम मंदिर कार्यक्रम को लेकर उत्साह दिखा रहे हैं।
हाल ही में सपा नेता राकेश प्रताप सिंह ने कहा है कि भगवान राम मेरे अराध्य हैं, मैं एक सनातनी हूं। मैं तो किस्मत वाला हूं कि भगवान राम का मंदिर मेरे जीवित रहते बन रहा है। अब ये बयान मायने इसलिए रखता है क्योंकि इससे कुछ दिन पहले ही सपा दफ्तर के बाहर एक पोस्टर वायरल हो गया था। उस पोस्टर में अखिलेश यादव की फोटो थी, कथित सपा नेता आशुतोष सिंह साथ में थे और बड़ा-बड़ा लिखा था- राम आ रहे हैं।
अब जब से वो पोस्टर वायरल हुआ, सवाल उठने लगे कि क्या सपा नेता ही अखिलेश के खिलाफ जा रहे हैं। माना उन्हें राम मंदिर कार्यक्रम में जाने का मौका नहीं मिल रहा, लेकिन उनकी तरफ से जिस तरह से खुलकर उसका समर्थन किया जा रहा है, पार्टी में दो फाड़ होती दिख रही है। अभी तक अखिलेश यादव ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। वैसे राम मंदिर कार्यक्रम में तो कांग्रेस भी नहीं जाने वाली है। कांग्रेस की तरफ से इसे बीजेपी का इवेंट बता दिया गया है।
इस समय इंडिया गठबंधन के कई दल इस कार्यक्रम में जाने से मना कर चुके हैं। इस लिस्ट में ममता बनर्जी से लेकर उद्धव ठाकरे तक शामिल हैं। इसके अलावा लेफ्ट पार्टी, आरजेडी भी कार्यक्रम में शिरकत नहीं करने वाली है। एक तरफ बीजेपी इसे तुष्टीकरण वाली राजनीति का नतीजा बता रही है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष दल ये कहकर बचाव कर रहे हैं कि वे मंदिर के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन बीजेपी के नेरेटिव में नहीं फंसने वाले।