किसान आंदोलन अब दिल्ली के बॉर्डर से संसद भवन तक पहुंच चुका है। इन दिनों किसान जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और अपनी अलग ”संसद” चला रहे हैं। शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत कई विपक्षी सांसद किसानों का समर्थन करने जंतर-मंतर पहुंचे थे। हालांकि वहां किसी ने मंच पर चढ़कर भाषण नहीं दिया। राकेश टिकैत ने कहा कि यह मंच किसी राजनीतिक दल के लिए नहीं है। इसके बाद टिकैत लखनऊ के लिए रवाना हो गए। रास्ते में वह बिहार के मजदूरों से रिपोर्टर के अंदाज में बात करते भी नजर आए।
यमुना एक्सप्रेसवे पर एक टोल नाके के पास राकेश टिकैत रुक गए और बिहार के लोगों से बात करने लगे। उनके हाथ में एक माइक था। वह रिपोर्टर के अंदाज में कहने लगे, ये किसान हैं जो अपने गांव वापस जा रहे हैं। बिहार में मंडियां बंद हो गई हैं। इस वजह से ये आज बिहार में मजदूर भी नहीं रहे। ये मजदूरी करने अलग-अलग राज्यों में जाते हैं। बसों से सफर करते हैं और फिर अपने गांव को वापस जाते हैं।
राकेश टिकैत ने कहा, इनके यहां जो मंसूरी धान पैदा होता है, वो पंजाब और अन्य प्रदेशों में बिकता है। राकेश टिकैत ने एक मजदूर से बात भी की। राकेश टिकैत कहने लगे कि अगर ये कानून खत्म नहीं हुए तो ऐसे ही नौजवानों को 7-8 हजार की नौकरी करनी पड़ेगी। टिकैत ने कहा, यह नस्ल और फसल बचाने की लड़ाई है।
राकेश टिकैत कन्नौज के पास रुके थे। वह लखनऊ जाते वक्त यूनियन के मंडल कैंप के कार्यालय में रुके। यहां किसानों ने टिकैत का स्वागत किया। बता दें कि राकेश टिकैत ने दो दिन पहले ही ऐलान किया था कि वह जल्द लखनऊ जाएंगे। उन्होंने यहां तक कहा था कि लखनऊ को भी दिल्ली बना दिया जाएगा। यानी जिस तरह से किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं वैसे ही लखनऊ में भी करेंगे।
राकेश टिकैत के इस बयान के बाद भाजपा उत्तर प्रदेश ने भी ट्विटर पर एक कार्टून पोस्ट किया था। इस कार्टून में दिखाया गया था कि किसानों को उत्तर प्रदेश आने से रोकने के लिए योगी सरकार कोई न कोई कदम जरूर उठाएगी।