सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी तीन कृषि कानूनों (अब रद्द) को पूरी तरह निरस्त करने करने के पक्ष में नहीं थी। सुप्रीम कोर्ट में सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया गया है, जिसपर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने कमेटी के सदस्य अनिल घनवट पर निशाना साधा है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त कमेटी के तीन सदस्यों में से एक अनिल घनवट ने यह रिपोर्ट जारी की थी।
राकेश टिकैत ने अनिल घनवट पर निशाना साधते हुए कहा कि तीन कृषि कानूनों के समर्थन में घनवट ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट सार्वजनिक कर साबित कर दिया कि वे केंद्र सरकार की ही कठपुतली थे। एक बार फिर आंदोलन खड़ा करने की चेतावनी देते हुए बीकेयू नेता ने कहा, “इसकी आड़ में इन बिलों को फिर से लाने की केंद्र की मंशा है तो देश में और बड़ा किसान आंदोलन खड़े होते देर नहीं लगेगी।”
एक अन्य ट्वीट में राकेश टिकैत ने कहा, “बीकेयू लगातार मांग कर रही है कि एमएसपी की कानूनी गारंटी हो वरना किसान ऐसे ही लुटता आया है और लुटता रहेगा।” उन्होंने कहा कि एमएसपी पर वादा कर सरकार भी मुकर रही है और बात न मानी तो मजबूरन किसान फिर सड़कों पर उतरेगा।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए पुणे के किसान नेता अनिल घनवट ने कहा था कि द्विपक्षीय बातचीत से जानकारी निकलकर सामने आई थी कि महज 13.3 फीसदी किसान ही कृषि कानूनों के पक्ष में नहीं थे और लगभग 3.3 करोड़ से अधिक किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले 85.7 फीसदी किसान संगठनों ने कानूनों का समर्थन किया था।
तीन कृषि कानूनों को पिछले साल कर दिया गया था निरस्त
घनवट ने कहा था कि उन्होंने कमेटी की रिपोर्ट को जारी करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट को लिखा था लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने पर वे इसे खुद जारी कर रहे हैं। बता दें कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन एक साल से अधिक समय तक चला, जिसके बाद पिछले साल नवंबर में इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया था।