चंपई सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री बन ही गए। बहुमत होने के बावजूद वे डरे हुए थे। एक तो विधायकों की खरीद-फरोख्त का खतरा था ही ऊपर से राज्यपाल ने 24 घंटे तक रहस्य बनाए रखा। तभी तो झामुमो और कांग्रेस घबराकर अपने विधायकों को गुरुवार को हैदराबाद भेजने के चक्कर में थे। सोरेन को शुरू से ही 47 विधायकों का समर्थन था।

बहुमत के लिए 81 के सदन में 42 विधायक ही पर्याप्त हैं। पर राज्यपाल ने बुधवार को चंपई सोरेन द्वारा सरकार बनाने का दावा पेश करने के बावजूद उन्हें हाथों हाथ सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया। इसमें कोई दो राय नहीं कि शुरू में हेमंत सोरेन अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को अपनी जगह मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे। वे विधायक नहीं हैं।

उपचुनाव लड़कर विधायक बन सकें इसके लिए पार्टी के एक विधायक से इस्तीफा भी दिला दिया था। उनके नाम पर हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन रजामंद नहीं थीं। खतरा दोहरा था। एक तो भाजपा झामुमो में बगावत कराकर सीता सोरेन को मुख्यमंत्री बनवा सकती थी। दूसरे कल्पना के विधायक न होने से राज्यपाल पेच फंसा सकते थे।

राज्यपाल ने गुरुवार शाम को चंपई सोरेन को मुलाकात के लिए बुलाया तो जरूर था पर सरकार बनाने का न्योता फिर भी नहीं दिया था। चंडीगढ़ के महापौर का मामला पहले से उलझा है सो भाजपा ने झारखंड में जब अपनी संभावना कमजोर देखी होगी तभी दिल्ली से राज्यपाल को हरी झंडी मिली होगी।

हार पर तकरार

कर्नाटक में कांगे्रस सत्ता के बूते लोकसभा चुनाव में 2019 से ज्यादा सीटें जीतने का आंकड़ा संजो रही है तो भाजपा की चिंता अपनी 26 सीटों को बचाने की है। राज्य में कुल 28 सीटें हैं। भाजपा ने अभी उम्मीदवारों का फैसला नहीं किया है। पर गुटबाजी दिखने लगी है। इसी हफ्ते पार्टी के विधायक प्रभु चव्हाण ने केंद्रीय मंत्री और बीदर के सांसद भगवंत खूबा पर क्षेत्र की अनदेखी का आरोप तो लगाया ही, पार्टी के एक कार्यक्रम में मौजूद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र के पैरों में लेट गए।

उनसे फरियाद की कि बीदर में किसी अच्छे उम्मीदवार को टिकट दिया जाए। इस कार्यक्रम में खूबा भी मौजूद थे। इससे पहले पार्टी की एक राज्य स्तरीय बैठक में तो भाजपा के कई विधायकों ने खूबा पर खुलेआम कांगे्रस से साठगांठ और विधानसभा में पार्टी उम्मीदवारों को हरवाने तक का आरोप लगा दिया था।

इंडिया से यूपीए तक…

क्षेत्रीयय दलों को कांग्रेस की रणनीति समझ नहीं आ रही। भाजपा को विश्वास है कि अंतत: इंडिया गठबंधन की जगह कांगे्रस यूपीए की सरपरस्ती ही करेगी। उत्तर प्रदेश में बसपा पहले ही अलग चुनाव लड़ने का एलान कर चुकी है। आम आदमी पार्टी को लगता है कि कांगे्रस अरविंद केजरीवाल के जेल जाने का इंतजार कर रही है।

उधर कांगे्रस का आलाकमान राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में व्यस्त है। राहुल गांधी की इस यात्रा के मकसद और वक्त दोनों को लेकर कांगे्रस के सहयोगी दल सवाल उठा रहे हैं। राहुल की यात्रा के साथ पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिस तरह का सलूक किया, उससे भी इंडिया गठबंधन के वजूद को लेकर आशंका होती है।

दर्द न जाने कोय

उत्तर प्रदेश के लोग 2017 से आवारा गोवंश से दुखी हैं। लोग गायों के बछड़ों और दूध न देने वाली गायों को छुट्टा छोड़ देते हैं। आवारा पशुओं के कारण अनेक किसानों की मौत हो चुकी है। सड़कों पर आए दिन दुर्घटनाएं भी होती हैं। प्रधानमंत्री ने खुद 2022 के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में किसानों की इस समस्या का उल्लेख किया था और भरोसा दिया था कि चुनाव बाद राज्य सरकार ऐसे आवारा गोवंश के लिए हर गांव में गोशाला खोलेगी।

कई जगह ऐसी गोशालाएं सरकार ने खुलवाई भी पर प्रति गोवंश सरकार जितना पैसा देती है वह उनकी देखभाल पर होने वाले खर्च की तुलना में काफी कम है। जो लोग गोशालाएं चला रहे हैं वे भी लालफीताशाही के कारण सरकार से अनुदान लेने से कतराते हैं। किसान जब-तब ऐसे छुट्टा गोवंश को सरकारी दफ्तरों में धकेल कर सरकार का ध्यान दिलाने की कोशिश करते हैं।

इसी गुरुवार को मेरठ जिले के सरधना कस्बे में किसानों ने सैकड़ों छुटटा गोवंश को हांकते हुए नगर पालिका परिसर में धकेल दिया। इसे लेकर काफी अफरा-तफरी भी हुई। किसानों का कहना है कि सरकार ने ऐसे गोवंश के लिए जो आश्रय गृह बनाए हैं, उनकी देखरेख करने वाले लोग ही रात में इन मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं। जो किसानों के खेतों में झुंड के रूप में घुसकर फसल तबाह कर देते हैं। जिसका सरकार कोई मुआवजा भी नहीं देती। चुनाव बाद राज्य की भाजपा सरकार ने इस समस्या से मुंह फेर लिया है।

विजय करेंगे ‘पवित्र जनसेवा’

तमिलनाडु की राजनीति में फिल्मी नायकों की अहम भूमिका रही है। एमजी रामचंद्रन से लेकर जयललिता इसकी सफलता की मिसाल हैं। अब तमिल फिल्मों के अभिनेता विजय ने राजनीतिक दल ‘तमिझागा वेत्री कषगम’ (शाब्दिक अर्थ तमिलनाडु विजय पार्टी) बना कर 2026 का तमिलनाडु का विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान किया है। विजय ने एक बयान में कहा कि राजनीति कोई पेशा नहीं, बल्कि ‘पवित्र जनसेवा’ है। इस घोषणा के बाद विजय के प्रशंसकों ने जश्न मनाना शुरू कर दिया।

कुछ समय से अटकलें लगाई जा रही थीं कि अभिनेता राजनीति में कदम रख सकते हैं। विजय ने कहा कि उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी और न ही किसी का समर्थन करेगी। हाल ही में हुई आम परिषद और कार्यकारी परिषद की बैठकों में ऐसा निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि मैंने पार्टी के काम को प्रभावित किए बिना उस फिल्म को पूरा करने का फैसला किया है जिसके लिए मैं पहले ही प्रतिबद्ध हूं। विजय का कहना है कि वह जनसेवा की राजनीति में खुद को झोंक देंगे। उन्होंने कहा, कि मैं इसे तमिलनाडु के लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त करता हूं।

संकलन : मृणाल वल्लरी