गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने आज एनआरसी के मुद्दे पर राज्यसभा में बोलते हुए कहा कि एनआरसी को ड्राफ्ट को लेकर देश में माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआरसी की लिस्ट में जगह नहीं बनाने वाले 40 लाख परिवार नहीं बल्कि 40 लाख व्यक्ति हैं। बता दें कि 30 जुलाई को प्रकाशित हुई एनआरसी की दूसरी लिस्ट में असम के करीब 40 लाख लोगों के नामों को शामिल नहीं किया था। जिस पर राजनैतिक पार्टियों ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधा था। राज्यसभा में आज विपक्षी पार्टियों के आरोपों का जवाब देते हुए गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एनआरसी की प्रक्रिया साल 1985 में हुए असम समझौते के तहत शुरु की गई है। जिसमें किसी भी नागरिक के साथ भेदभाव नहीं किया गया है और पूरी पार्दर्शिता के साथ यह प्रक्रिया की गई है।
राजनाथ सिंह ने कहा कि वह साफ कर देना चाहते हैं कि अभी ये एनआरसी का ड्राफ्ट है और अभी एनआरसी का फाइनल लिस्ट आनी बाकी है। गृहमंत्री ने कहा कि एनआरसी की पूरी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में हुआ है। साथ ही उन्होंने कहा कि किसी भी नागरिक के खिलाफ सख्त कारवाई नहीं की जाएगी। राजनाथ सिंह ने कहा कि दुनिया के हर देश की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने देश के नागरिकों के बारे में सही जानकारी रखे कि कितने उसके नागरिक हैं और कितने विदेशी नागरिक हैं। ये हर देश का दायित्व बनता है। कुछ लोग इस मुद्दे को लेकर गलतफहमी पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। चूंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है, इसलिए वह सभी दलों से इस मुद्दे पर सहयोग की उम्मीद करते हैं।
गृहमंत्री ने कहा कि किसी भी तरह का प्रमाण पत्र देने की स्थिति में किसी भी नागरिक को छोड़ा नहीं जाएगा। हर व्यक्ति को एनआरसी में शामिल होने का पूरा अवसर मिलेगा। बता दें कि एनआरसी के मुद्दे पर राजनैतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। इस मुद्दे पर राज्यसभा और लोकसभा में हंगामा भी देखने को मिला। टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने एनआरसी के मुद्दे पर केन्द्र सरकार को चेतावनी देते हुए गृह युद्ध होने की बात कही थी। वहीं केन्द्र सरकार ने एनआरसी के मुद्दे पर विपक्ष पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया था।