सरकार ने शुक्रवार को पूर्व यूपीए सरकार पर आरोप लगाया कि उसने हिंदू आतंकवाद की नई शब्दावली गढ़ कर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर किया। इसके लिए उसने कुख्यात आतंकवादी हाफिज सईद से बधाई पाई लेकिन नरेंद्र मोदी सरकार ऐसी शर्मनाक स्थिति कभी पैदा नहीं होने देगी। पंजाब के गुरदासपुर में 27 जुलाई को हुए आतंकवादी हमले के बारे में लोकसभा में अपना लिखित बयान पढ़ने के बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि यूपीए के गृह मंत्री ने हिंदू आतंकवाद के नए फलसफे को इजाद करके आतंकवादी घटनाओं की जांच की दिशा को बदलने का काम किया। यूपीए के गृह मंत्री द्वारा हिंदू आतंकवाद इजाद किए जाने पर हाफिज सईद ने उन्हें बधाई दी थी। लेकिन ऐसी शर्मनाक स्थिति यह सरकार नहीं होने देगी। आतंकवाद, आतंकवाद होता है , वह हिंदू, मुसलमान या कोई जाति, पंथ और धर्म नहीं होता। हालांकि उनके इन आरोपों का कड़ा प्रतिवाद करते हुए कांग्रेस सहित विपक्षी सदस्यों ने आरोप लगाया कि सरकार आतंकवाद का राजनीतिकरण कर रही है।
गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती है और इस मुद्दे पर न तो संसद को और न ही देश को विभाजित दिखना चाहिए। उन्होंने कहा कि वे इस मुद्दे पर चर्चा और उसका जवाब देने के लिए तैयार हैं। पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों के संसद में सरकार के खिलाफ नारेबाजी किए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि एक ओर शहादत हो और दूसरी ओर सदन में शोरशराबा हो, इसे देश कैसे मंजूर करेगा? राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के सवाल पर सदन में गंभीरतापूर्वक चर्चा होनी चाहिए।
आतंकवाद की मौजूदा स्थिति के लिए पिछली सरकारों की विदेश नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए गृह मंत्री ने एक शेर पढ़ा : चीन छीन देश का गुलाब ले गया, ताशकंद में वतन का लाल सो गया, हम सुलह की शक्ल ही संवारते रहे, जीतने के बाद बाजी हारते रहे।
गृहमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार की हमेशा यही राजनीति रही है। इससे पहले अपने लिखित बयान को पढ़ते हुए गृह मंत्री ने कहा कि जीपीएस आंकड़ों के प्रारंभिक अध्ययन से संकेत मिलते हैं कि हमलावर तीन आतंकवादियों ने पाकिस्तान से गुरदासपुर जिले के तास क्षेत्र से घुसपैठ की।
उन्होंने कहा कि भारत की एकता और अखंडता व देश के नागरिकों की सुरक्षा को कमतर करने के देश के दुश्मनों के किसी भी प्रयास का हमारे सुरक्षा बल त्वरित और मुंहतोड़ जवाब देंगे। सरकार आतंकवाद से दृढ़ता और कड़ाई से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है और सीमा पार से चलाई जा रही सभी आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करेगी। राज्यसभा में गृह मंत्री अपना यह लिखित बयान गुरुवार को पहले ही दे चुके हैं।
राजनाथ सिंह ने लोकसभा में शुक्रवार को जब अपना बयान पढ़ना शुरू किया तो आसन के समक्ष एकत्र होकर नारे लगा रहे कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अपने-अपने स्थान पर चले गए और उनका बयान पूरा होते ही वे फिर से आसन के समक्ष आकर नारे लगाने लगे। हंगामा जारी रहने पर अध्यक्ष ने कुछ ही देर बाद सदन की कार्यवाही भोजनावकाश से आधा घंटा पहले ही दोपहर दो बजे के लिए स्थगित कर दी।
दो बजे सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गृह मंत्री पर आतंकवाद पर राजनीतिक भाषण देकर सदन को विभाजित करने का आरोप लगाया। जबकि आतंकवाद पर पूरा देश एक है।
खड़गे ने सरकार पर आतंकवाद को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी इसे बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने उपाध्यक्ष एम थंबीदुरै से अनुरोध किया कि गृह मंत्री ने गुरदासपुर में आतंकी हमले के बारे में अपने लिखित बयान के बाद सदन में जो कुछ भी कहा उसे कार्यवाही से निकाल दिया जाए। कांग्रेस नेता की इस मांग को आसन ने ठुकरा दिया। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने खड़गे की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि गृहमंत्री ने अपने बयान के बाद एक लंबा भाषण दे डाला जो कि नियम के खिलाफ है। खड़गे जब अपनी बात रख रहे थे तो गृह मंत्री सदन में मौजूद नहीं थे।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री राजीव प्रताप रूडी ने कहा कि गृह मंत्री ने इस मुद्दे पर विस्तार से अपनी बात रखी और पिछली नीतियों की खामियों की ओर इंगित किया। उन्होंने कहा कि सदन को बांटने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। सरकार आतंकवाद पर चर्चा के लिए तैयार है और विपक्ष को चर्चा शुरू करने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन करना चाहिए।
कांग्रेस ने मांगा ठोस प्रस्ताव
सरकार को दो टूक संदेश देते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि संसद में दो हफ्ते से जारी गतिरोध को दूर करने के लिए सर्वदलीय बैठक में उसकी हिस्सेदारी विपक्ष की मांग के बारे में प्रधानमंत्री की ओर से ठोस प्रस्ताव पर निर्भर करेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने पत्रकारों से कहा कि महज फोटो खिंचवाने, चाय और सैंडविच में हमारी कोई रुचि नहीं है। प्रधानमंत्री पहले हमें बताएं कि हमारी मांगों पर क्या कार्रवाई की जा रही है।
शर्मा की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब सरकार ने गतिरोध दूर करने के लिए विपक्ष तक पहुंचने का प्रयास किया है। विपक्षी दल ललित मोदी विवाद को लेकर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व व्यापमं मामले को लेकर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग पर संसद की कार्रवाई नहीं चलने दे रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि उनके अहंकार और जिद के कारण संसद में कामकाज नहीं हो रहा है क्योंकि इस मुद्दे पर उन्होंने अपना मौन व्रत तोड़ने से इनकार कर दिया है।
संसद में बने गतिरोध के लिए पूरी तरह से सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए शर्मा ने कहा कि संसद का कामकाज सुचारू रूप से चले इसे तय करने के लिए प्रधानमंत्री ने कोई प्रयास नहीं किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस सप्ताहांत सरकार का विवेक जागेगा और अगर ऐसा होता है तो संसद में सुचारू रूप से काम हो सकेगा। संसदीय कार्यमंत्री वेंकैया नायडू संसद के कामकाज पर चर्चा करने के लिए अब सोमवार को सर्वदलीय बैठक करेंगे।
सत्र का दूसरा हफ्ता भी हंगामे की भेंट चढ़ा
ललित मोदी मामले और व्यापमं घोटाले को लेकर संसद में मानसून सत्र के दूसरे हफ्ते भी गतिरोध बना रहा। कांगे्रस विदेश मंत्री व राजस्थान और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग पर अड़ी रही। वहीं शुक्रवार को सरकार की ओर से विपक्ष के कुछ नेताओं पर आतंकवाद के मामले में देश के हितों के खिलाफ जाकर बयान देने का आरोप लगाया गया।
हंगामे के कारण लोकसभा की कार्यवाही दो बार के स्थगन के बाद व राज्यसभा की कार्यवाही तीन बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। हालांकि लोकसभा में कांगे्रस सदस्यों के हंगामे के बावजूद प्रश्नकाल और शून्यकाल चलाया गया।
कांग्रेस, वाम एवं जद (एकी) के कई सदस्य विरोध जताते हुए कई बार आसन के समक्ष आए और नारेबाजी करते रहे। इसके बावजूद शुक्रवार को सदन में प्रश्नकाल व शून्यकाल को हंगामे के बीच जारी रखा गया। राज्यसभा में भी कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने मंत्रियों के इस्तीफे की मांग शुरू कर दी।
उधर सत्ता पक्ष का कहना था कि कोई इस्तीफा नहीं होगा। हंगामे को देखते हुए उपसभापति कुरियन ने दो बजकर 40 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी। हंगामे के बीच ही शुक्रवार को दोनों सदनों में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2015-16 के लिए अनुदान की पूरक मांगों के संबंध में एक विवरण सभा के पटल पर रखा। शुक्रवार का दिन था और लोकसभा व राज्यसभा में गैर सरकारी कामकाज होना तय था। लेकिन वह भी हंगामे की भेंट चढ़ गया।