राजस्थान में राजनीतिक संकट के बीच सत्ता के वर्चस्व की लड़ाई में कांग्रेस ने अब अपने चार दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी दी है। प्रदेश में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सिफारिश पर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने से इनकार करने के राज्यपाल के फैसले के खिलाफ पार्टी के अगले कदम की जिम्मेदारी इन चार नेताओं पर होगी।

इस टीम में पार्टी के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम के साथ तीन पूर्व कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार शामिल हैं। पार्टी राज्यपाल के इस फैसले के खिलाफ सभी राज्यों की राजधानी में राजभवन के बाहर धरने के साथ ही सड़कों पर विरोध प्रदर्शन कर रही है। इस मामले में पी. चिदंबरम ने कहा कि उनका व्यक्तिगत रूप से मानना है कि कांग्रेस के बागी विधायकों के गुट का नेतृत्व करने वाले सचिन पायलट पूरी तरह से भाजपा के प्रभाव में हैं।

चिदंबरम ने विधानसभा का सत्र बुलाने के मामले को लेकर सचिन पायलट की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा: “… वास्तव में, उन्हें सबसे पहले खड़े होकर कहना चाहिए, कृपया विधानसभा का सत्र बुलाएं; तब हमें पता चलेगा कि वह किस पार्टी की तरफ हैं और वह क्या करेंगे।

चिदंबरम ने कहा कि वह अपने आप को कांग्रेस के साथ दिखा रहे हैं … वह कह रहे हैं कि गहलोत ने अपना बहुमत खो दिया है, इसलिए उन्हें वास्तव में राज्यपाल को (एक सत्र) बुलाने को लेकर कांग्रेस के साथ होना चाहिए। पायलट सत्र में क्या करेंगे यह उनका निर्णय है, लेकिन वह सत्र बुलाने के बारे में चुप क्यों है।”

कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल और अश्विनी कुमार ने राज्यपाल कलराज मिश्रा को लिखे पत्र में कहा है कि विधानसभा सत्र को स्थगित करने में देरी के कारण “एक संवैधानिक संवैधानिक गतिरोध पैदा हुआ है।”

उन्होंने लिखा है: “विभिन्न समयों पर विधि और न्याय मंत्री के रूप में कार्य करने और संवैधानिक कानून के छात्रों के रूप में, हमारा स्पष्ट दृष्टिकोण हैं कि कानूनी स्थिति राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर राज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए बाध्य करती है।

इन लोगों ने कहा , “हमारा मानना है कि संविधान के के अनुसार, संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांत, संविधान के प्रासंगिक लेख और सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार, राज्यपाल इन मामले में मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के लिए बाध्य हैं।