राजस्थान के उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र गुढ़ा की बगावत ने गहलोत सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी की हुई हैं। सोमवार को बर्खास्त मंत्री गुढ़ा जिस लाल डायरी को लहराते हुए राजस्थान विधानसभा के भीतर पहुंचे थे और यह दावा किया था कि इसमें गहलोत सरकार के घोटालों का कच्चा-चिट्ठा है वो अब संसद तक पहुंच गई है। संसद के बाहर राजस्थान से आने वाले बीजेपी सांसदों ने गहलोत सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। सभी सांसदों के हाथ में लाल डायरी थी जिसपर ‘अशोक गहलोत की लाल डायरी लिखा था।’ 

अशोक गहलोत की लाल डायरी, क्या है मामला 

राजस्थान में फिलहाल राजेंद्र गुढ़ा और लाल डायरी के चर्चे हैं। दरअसल अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा में बयान देने के बाद राजेंद्र  गुढ़ा को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था। राजेंद्र गुढ़ा ने विधानसभा में कहा था कि हमारी सरकार को मणिपुर से पहले अपने प्रदेश पर ध्यान देना चाहिए। सोमवार को वह लाल डायरी के साथ विधानसभा में पहुंचे थे जहां उन्होने लाल डायरी लहराई थी और कहा था कि इस डायरी में गहलोत सरकर के घोटाले दर्ज हैं। 

गुढ़ा के मुताबिक लाल डायरी उन कई दस्तावेजों और फाइलों में से एक थी जिन्हें उन्होंने कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर के साथ जुलाई 2020 में परिसर में आयकर छापे से पहले धर्मेंद्र राठौड़ के जयपुर पेंटहाउस निकाला था। हालांकि धीरज गुर्जर  ने राठौड़ के घर से फाइलें निकालने के लिए गुढ़ा के साथ जाने से इनकार किया है। उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि आयकर छापे के दौरान मैं उत्तर प्रदेश में था।

इस महीने की शुरुआत में झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी से विधायक गुढ़ा ने ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी से मुलाकात की थी, जिससे इस बात को लेकर अटकलें शुरू हो गईं कि वह एक नई सियासी चाल चलने वाले हैं।

विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए कितने मुश्किल साबित हो सकते हैं ये दावे

यह तो साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता कि राजेंद्र गुढ़ा और उनकी लाल डायरी के दावे कितने मजबूत हैं लेकिन उनके दावे विधानसभा चुनाव वाले राजस्थान में राजनीतिक सनसनी पैदा करने के लिए काफी हैं। फिलहाल सरकार की तरफ से किसी तरह का बड़ा बयान इस मामले में सामने नहीं आया है लेकिन अशोक गहलोत ने इसे पार्टी का आपसी मामला बताया है।