राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सी. पी. जोशी की याचिका पर गुरुवार (23 जुलाई) को भी सुप्रीम कोर्ट में बहस हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही 24 जुलाई तक रोकने का कोई अधिकार नहीं है। इन बागी विधायकों में उप मुख्यमंत्री पद से हटाए गए सचिन पायलट भी शामिल हैं। अदालत अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को करेगी।
जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जोशी की उस याचिका पर सुनवाई शुरू की, जिसमें शीर्ष अदालत के 1992 के किहोटो होलोहन मामले में दिए फैसले का जिक्र किया गया है। उस फैसले के अनुसार अदालत संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत अध्यक्ष द्वारा की गई अयोग्यता की कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। जोशी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि अदालत तभी हस्तक्षेप कर सकती है जब अध्यक्ष सदन के किसी सदस्य को निलंबित या अयोग्य ठहराने का फैसला ले। सिब्बल ने कहा, मौजूदा स्थिति में स्पीकर के फैसले में कोर्ट दखल नहीं दे सकता। इसके जवाब में कोर्ट ने भी सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि आप बागी विधायकों की भी आवाज नहीं दबा सकते।
पीठ के उस सवाल के जवाब में सिब्बल ने यह बात कही, जिसमें उसने पूछा था कि अध्यक्ष के विधायकों को निलंबन या अयोग्य ठहराने के फैसले में अदालत हस्तक्षेप कर सकती है या नहीं। मामले की सुनवाई सोमवार तक स्थगित कर दी गई है। हाईकोर्ट शुक्रवार (24 जुलाई) को कांग्रेस के 19 बागी विधायकों की याचिका पर फैसला सुनाने वाला है।
राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी कांग्रेस के 19 बागी विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही को 24 जुलाई तक टाले जाने के हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ बुधवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। फिलहाल कोर्ट ने किसी तरह का स्थगनादेश देने से इनकार किया है।
(भाषा इनपुट्स के साथ)