राजस्थान के 20 जिलों के 90 निकायों के रविवार को घोषित अध्यक्ष पद के चुनाव परिणामों में 48 निकायों में सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस और 37 निकायों में भाजपा ने बोर्ड बनाया है। इन चुनाव परिणामों ने बाद राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के वफादार विधायकों सहित भाजपा नेताओं के एक समूह ने हाडौती क्षेत्र में हुए नुकसान के लिए पार्टी के राज्य संगठन को जिम्मेदार ठहराया है।
भाजपा नेताओं ने एक बयान जारी करते हुए आलाकमान को ‘सतर्क’ किया है। नेताओं ने कहा कि, व्यक्ति विशेष के इशारे पर बीजेपी के गढ़ को धरातल से रसातल में पहुंचाया जा रहा। यदि स्थिति ऐसी ही रहती है, तो बीजेपी की नैया डूबने से कोई नहीं बचा सकता। यह संयुक्त बयान छबड़ा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी, पूर्व विधायक बाबूलाल वर्मा, भवानी सिंह राजावत, प्रहलाद गुंजल और विद्या शंकर नंदवाना और भाजपा नेता श्री किशन पाटीदार के नाम से जारी किया गया था।
कोटा, बूंदी, बारां और झालावाड़ जिले में हुए नगर परिषद और नगर पालिका चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को बड़ी शिकस्त दी है। बयान में कहा गया कि पार्टी राजे के चुनावी जिले झालावाड़ में जीत हासिल कर सकती है, क्योंकि उनकी वहां अच्छी पकड़ है। उन्होंने कहा, “व्यक्ति विशेष के इशारे पर प्रदेश संगठन ने जनाधारहीन लोगों को चुनाव प्रभारी बनाया। उनके कहने पर ही टिकटों का आवंटन किया और तभी जाकर यह हालात बने, नहीं तो पूरे राजस्थान में मिसाल थी, कि कोटा बीजेपी का अभेद्य गढ़ है। जिसे कांग्रेस कभी भेद नहीं सकती।
सभी नेताओं ने चिन्ता प्रकट करते हुए कहा कि कोटा के उत्तर और दक्षिण दोनों ही नगर निगम में बीजेपी को ध्वस्त करते हुए कांग्रेस ने विजयी परचम फहराया। वहीं बूंदी में हम जिला प्रमुख नहीं बना पाये, कोटा बारां जिलों के रामगंजमण्डी, कैथून, सांगोद, बारां, मांगरोल, अंता के साथ ही हाल ही में हुए निकाय चुनावों में बूंदी, केशवरायपाटन, कापरेन, लाखेरी, नैनवां, इन्द्रगढ़ में भी पार्टी का पूरी तरह सूपड़ा साफ हो गया।
यह कहते हुए कि भाजपा को राजे जैसे मजबूत नेता की जरूरत है, पूर्व विधायक नंदवाना ने कहा, “हम बचपन से भाजपा की विचारधारा से जुड़े रहे हैं। पार्टी को आत्मनिरीक्षण करना चाहिए कि हाड़ौती से पार्टी को हार कैसे मिली। हमारी सरकार दिल्ली में है, राजस्थान सरकार कमजोर है, लेकिन इसके बावजूद हम हार गए। ”