राजस्थान में अरावली की पहाड़ियों पर हो रहे अवैध खनन पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया अपना लिया है। कोर्ट में राजस्थान सरकार ने ये स्वीकार किया है कि अरावली की 138 में से 28 पहाड़ियां गायब हो चुकी हैं। कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव को 48 घंटे के भीतर अरावली के 115.34 हेक्टेयर क्षेत्र मेें अवैध खनन रुकवाने के आदेश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाली न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि वह यह आदेश देने के लिये मजबूर हो गई क्योंकि राजस्थान सरकार ने इस मामले को ‘बहुत ही हल्के’ में लिया है। कोर्ट ने यह भी पूछा कि क्या लोग हनुमान हो गए और पहाड़ियां लेकर भाग गए। कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार अवैध खनन रोकने में बुरी तरह नाकाम रही है।
In a shocking revelation, Rajasthan govt tells SC that 28 out of 138 hills in Aravali region near Delhi boarder disappeared.
SC:Have people become Hanuman and running away with hills. State failed miserably to protect hills from illegal mining.— Amit Anand Choudhary (@amitanandTOI) October 23, 2018
Supreme Court directs Rajasthan government to close illegal mining activities in a 115.34 hectare area in Aravalli hills within 48 hours. The Court has sought affidavit from state’s Chief Secretary on compliance of its order. pic.twitter.com/kTId4kJkvy
— ANI (@ANI) October 23, 2018
शीर्ष अदालत ने केन्द्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया कि राज्य के अरावली इलाके में 31 पहाड़ियां अब गायब हो चुकी हैं। पीठ ने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण स्तर में बढ़ोत्तरी का एक कारण राजस्थान में इन पहाड़ियों का गायब होना भी हो सकता है। पीठ ने अपने आदेश पर अमल के बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का राज्य के मुख्य सचिव को निर्देश भी दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय अरावली पहाड़ियों में गैरकानूनी खनन की गतिविधियों से संबंधित मामले की सुनवाई कर रहा था। बता दें कि कोर्ट ने अपने आदेश के अनुपालन पर राज्य के मुख्य सचिव से हलफनामा मांगा है। कोर्ट ने कहा कि पर्यावरण मंत्रालय को लगता है कोई चिंता नहीं है, राज्य सरकार भी मसले पर बेपरवाह है।
सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय को 6 सप्ताह के भीतर अध्ययन रिपोर्ट पेश करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट में पर्यावरण मंत्रालय को ये भी बताने को कहा था कि निर्माण कार्यों के लिए बजरी या फिर बालू क्यों आवश्यक है। राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर राज्य में पूरी तरह से बजरी पर बैन को गलत बताया था।
रद हुए हैं 82 लाइसेंस: राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मांग की थी कि जिन 12 लाइसेंस होल्डरों को पर्यावरण मंजूरी मिल गई है, उन्हें बजरी खनन की इजाजत दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि बजरी खनन के लिए सबसे पहले यह बताना होगा कि निर्माण कार्यों के लिए बजरी या फिर बालू क्यों आवश्यक है और इनके बिना निर्माण क्यों नहीं हो सकता? आपको बता दें कि पिछले साल सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बजरी खनन से जुड़े 82 लाइसेंस को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि बिना पर्यावरणीय मंजूरी और अध्ययन रिपोर्ट के खनन की इजाजत नहीं दी जा सकती है।