राजस्थान के दौसा के बास गांव में किसानों का जमीन समाधि आंदोलन खत्म हो गया है। सोमवार को सचिवालय में राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा की मौजूदगी में किसानों के प्रतिनिधिमंडल और गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव राजीव स्वरूप के बीच बातचीत में किसानों की मांग के लेकर सहमति बनी।

लिखित समझौता पत्र जारी होने के बाद किसानों ने अपना आंदोलन समाप्त करने की घोषणा की। किसान संघर्ष समिति के संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि किसानों के हित में सरकार ने उनकी सभी मांगों को मान लिया है। मालूम हो कि गांव के किसानों ने दिल्ली-मुम्बई एक्सप्रेस हाईवे के लिए अधिग्रहण की गई भूमि का बाजार दर पर मुआवजा नहीं मिलने पर 23 जनवरी से यह अनिश्चितकालीन आंदोलन शुरू किया था।

किसानों का कहना था कि 2012 में उन्होंने 4 लाख 20 हजार की एक बीघा जमीन खरीदी थी। उसकी DLC रेट 1.10 हजार के लगभग है। सरकार उसका दो गुना दे रही है। आंदोलन के दौरान 101 किसानों ने जेसीबी मशीन से अपनी जमीनों में गड्ढे खोद कर सांकेतिक रूप से समाधि लेने की शुरुआत कर दी थी। इसमें 70 पुरुष तथा 31 महिलाएं शामिल थीं।

किसानों के आंदोलन का नेतृत्व में राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने किया था। आंदोलन को लेकर प्रदेश किसान संघर्ष समिति के संयोजक हिम्मत सिंह गुर्जर ने किसानों की अनदेखी करने का आरोप लगाया था। हिम्मत सिंह का कहना था कि सरकार ने जब किसानों की बात नहीं सुनी इस वजह से मजबूरी में उन लोगों को आंदोलन शुरू करना पड़ा।

धरनास्थल पर ही मनाया था गणतंत्र दिवसः इससे पहले किसानों ने 26 ज

नवरी को धरनास्थल पर ही सांसद मीणा की मौजूदगी में राष्ट्रीय ध्वज फहराकर गणतंत्र दिवस मनाया था। रविवार को ही किसान नेताओं, जिला कलेक्टर अविचल चतुर्वेदी व अन्य अधिकारियों के बीच नांगल राजावतान थाने में आंदोलन खत्म करने को लेकर बातचीत हुई थी लेकिन वहां किसानों की मांगों को लेकर सहमति नहीं बन सकी थी। इसके बाद राज्ससभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा, हिम्मत सिंह समेत 21 सदस्य सरकार की तरफ से बातचीत के लिए जयपुर बुलाया गया था।