जयपुर। लोकसभा चुनाव 2019 में राजस्थान में कांग्रेस के सफाए के बाद पार्टी के अंदर कलह चरम पर पहुंच गई है। सूबे के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने एक पत्र जारी कर कहा कि उन्होंने कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। कटारिया के मुताबिक, चुनावों में पार्टी की करारी शिकस्त के बाद उनके लिए मंत्री पद पर बने रहना ‘नैतिक तौर पर’ सही नहीं है। अपने पत्र में कटारिया ने दावा किया कि वह अपने मंत्री पद की ‘कुर्बानी’ दे रहे हैं क्योंकि कांग्रेस राजस्थान में एक भी सीट पाने में असफल रही। कटारिया ने दावा किया कि उन्होंने अपना इस्तीफा सीएम ऑफिस के जरिए गवर्नर के दफ्तर भिजवा दिया है। हालांकि, गवर्नर ऑफिस के अफसरों ने सोमवार को कहा कि उन्हें मंत्री की ओर से ऐसा कोई खत नहीं मिला है।
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बता दें कि कटारिया यूपीए सरकार में भी मंत्री रह चुके हैं। वह सीएम अशोक गहलोत के नजदीकी माने जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि उनके इस्तीफे के ऐलान का कदम अपने नेता को बचाने की कोशिश हो सकती है। इसके जरिए गहलोत के समर्थकों को एकजुट करने की कवायद भी मुमकिन है। रविवार को राजस्थान कैबिनेट के दो मंत्रियों ने गहलोत पर निशाना साधते हुए हार के लिए आत्ममंथन करने और जिम्मेदारी तय किए जाने की मांग की थी। कॉपरेटिव मंत्री उदयलाल अंजाना ने कहा कि लोग कह रहे हैं सीएम अन्य संसदीय क्षेत्रों में और ज्यादा काम करने में समर्थ होते अगर वह फ्री होते। वहीं, सिविल सप्लाईज और कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्टर रमेश चंद्र मीना ने चेतावनी दी कि इस हार को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
इस्तीफे का ऐलान करने वाले कटारिया पिछले साल झोटवाड़ा से विधायक चुने गए थे। यह विधानसभा क्षेत्र जयपुर ग्रामीण संसदीय सीट के अंतर्गत आता है। यहां कांग्रेस के प्रत्याशी कृष्णा पुनिया को केंद्रीय मंत्री राज्य71 वर्धन राठौड़ के हाथों 3 लाख 93 हजार वोटों से शिकस्त का सामना करना पड़ा। वहीं, कटारिया के विधानसभा क्षेत्र में राठौड़ को 1 लाख 86 हजार वोट मिले जबकि पुनिया को 71 हजार के आसपास मत मिले। जहां तक कटारिया का सवाल है, उन्हें पिछले असेंबली चुनाव में मिली जीत के दौरान 48.67 प्रतिशत वोट मिले थे।
कटारिया का खत 25 मई का है, जो रविवार को सामने आया। उन्होंने कहा कि वह बाकी बचे कार्यकाल में अपने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए काम करते रहेंगे और उनकी उम्मीदों को पूरा करने की कोशिश करेंगे। राजस्थान के मंत्रियों द्वारा गहलोत पर निशाना साधने के मामले ऐसे वक्त में सामने आए हैं, जब शनिवार को हुई कांग्रेस वर्किंग कमिटी की मीटिंग में राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि गहलोत और कुछ दूसरे सीनियर नेताओं ने पार्टी से ज्यादा अपने बेटों को तरजीह दी। कहा जा रहा है कि राहुल ने मीटिंग में बताया कि गहलोत ने अपने बेटे के लिए जोधपुर में प्रचार करने के लिए करीब एक हफ्ते बितया, लेकिन बाकी क्षेत्रों की अनदेखी की। बता दें कि सीएम के बेटे वैभव को भी हार का सामना करना पड़ा है। उन्होंने बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने 2 लाख 70 हजार से ज्यादा वोटों से शिकस्त दी है।