सोनिया गांधी के मोदी को राजधर्म की याद दिलाने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए कहा कि तेल पर जमकर खेल हो रहा है। जनता की जेब खाली कर ‘मित्रों’ को देने का महान काम मोदी सरकार मुफ्त में कर रही है। उधऱ, कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी मोदी सरकार पर तेल की कीमतों को लेकर कटाक्ष किया।

राहुल ने अपने ट्वीट में लिखा कि पेट्रोल पम्प पर गाड़ी में तेल डालते समय जब आपकी नज़र तेज़ी से बढ़ते मीटर पर पड़े, तब ये ज़रूर याद रखिएगा कि कच्चे तेल का दाम बढ़ा नहीं, बल्कि कम हुआ है और हमारे यहां पेट्रोल 100 रुपए लीटर बिक रहा है। आपकी जेब ख़ाली करके ‘मित्रों’ को देने का महान काम मोदी सरकार मुफ़्त में कर रही है। रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट करके कहा कि मुनाफाजीवी जी, पेट्रोल-डीज़ल पर “मोदी टैक्स” (एक्साइज ) में कटौती करके आम जन को तत्काल राहत दें। ईंधन की क़ीमतों में आपने भारत को विश्वगुरु तो बना ही दिया है।

ध्यान रहे कि सोनिया गांधी ने तेल के लगातार बढ़ते दामों पर पीएम नरेंद्र मोदी को रविवार को पत्र लिखा था। सोनिया ने मोदी से आग्रह किया है कि तत्काल प्रभाव से सरकार पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी करे, जिससे मध्यम वर्ग, नौकरी पेशा तबके के साथ किसानों और गरीबों को राहत मिल सके। उनका कहना है कि तेल के दामों में बढ़ोतरी से बाकी चीजों के दाम भी तेजी से बढ़ने लगे हैं।

सोनिया ने अपने पत्र में लिखा है कि सरकार गंभीरता से इस पर विचार करे। बीते साढ़े 6 साल में डीजल पर 820% तो पेट्रोल पर 258% कर सरकार ने बढ़ाया है। इससे दाम आसमान पर जा पहुंचे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने तेल में बढ़ोतरी करके इस दौरान 21 लाख करोड़ रुपए जुटाए हैं, लेकिन यह रकम भी अभी तक समाज के उस कमजोर तबके तक नहीं पहुंच सकी है, जिसके नाम पर ये पैसा एकत्र किया गया। उनका कहना है कि तेल के दामों में ऐतिहासिक तेजी देखने को मिली है। यहां तक कि पेट्रोल कुछ जगहों पर 100 रुपए से ज्यादा की कीमत में बिक रहा है।

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसका जवाब देते हुए कहा था कि, देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें एक अंतरराष्ट्रीय मूल्य प्रणाली के तहत नियंत्रित होती हैं। उन्होंने कहा कि सरकार फ्यूल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती नहीं करेगी। ऐसे में महंगाई बढ़ने का अंदेशा है। कीमतें बढ़ने को लेकर केंद्र सरकार कुछ नहीं कर सकती। इन्हें पेट्रोलियम कंपनियां तय कर करती हैं। इसके दाम कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर निर्भर करते हैं।