कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के बाद पार्टी लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रही है। वहीं अब लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखा है। अधीर रंजन चौधरी ने मंगलवार को अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखा और कानून की समानता का सवाल उठाया। उन्होंने बताया कि भाजपा के एक सदस्य को 2016 में अयोग्यता का सामना नहीं करना पड़ा था जब उन्हें एक आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया था और तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
अधीर रंजन चौधरी ने बताया कि 2016 में राहुल के मामले और अमरेली सांसद नारनभाई भीखाभाई कछड़िया के मामले के बीच एक मजबूत समानता थी। उन्होंने पत्र में लिखा, “पिछली लोकसभा के दौरान गुजरात में अमरेली सीट से तत्कालीन सांसद नारनभाई कछाडिया को धारा 332, 186 और 143 आईपीसी के तहत एक अपराध का दोषी ठहराया गया था और धारा 332 आईपीसी के तहत तीन साल की कैद और 143 धारा के तहत छह महीने की कैद की सजा दी गई थी।” उन्होंने कहा कि कछाड़िया ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की लेकिन उसने दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
अधीर रंजन ने लिखा, “उच्च न्यायालय ने सजा के निलंबन की अनुमति दी। लेकिन जनप्रतिनिधित्व (RP) अधिनियम 1951 की धारा 8 के प्रावधानों के अनुसार, कछड़िया को सदन की सदस्यता से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए था। हालांकि तत्कालीन अध्यक्ष ने सदस्य के खिलाफ किसी भी कार्रवाई (अयोग्यता सहित) का सहारा नहीं लिया।”
अधीर रंजन ने लिखा कि यह ध्यान देना दिलचस्प है कि सूरत जिला अदालत के फैसले के मद्देनजर राहुल गांधी को लोकसभा से संक्षेप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था, भले ही उनकी सजा को उसी अदालत ने एक महीने के लिए निलंबित कर दिया था, जिससे उच्च न्यायालयों में अपील के प्रयास में मदद मिली। उन्होंने लिखा, “आपको निश्चित रूप से पता होना चाहिए कि सूरत की सत्र अदालत ने भी सोमवार को उन्हें मानहानि के मामले में जमानत दे दी और उनकी दोषसिद्धि के खिलाफ अपील के निस्तारण तक उनकी दो साल की सजा को निलंबित कर दिया।”
अधीर रंजन चौधरी ने तर्क दिया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8 के तहत, एक निर्वाचित सदस्य को अयोग्य घोषित करने से पहले सदस्य को एक अपराध के लिए दोषी ठहराया जाना चाहिए।