हाल ही में कांग्रेस पार्टी की एक बैठक में राहुल गांधी के समर्थक माने जाने वाले एक नेता ने यूपीए सरकार के कार्यकाल को कांग्रेस की मौजूदा हालात के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इन नेता ने यूपीए सरकार में मंत्री रहे नेताओं को अपने कार्यकाल के बारे में आत्ममंथन करने की सलाह दी थी। अब पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने यूपीए कार्यकाल की आलोचना करने वाले नेताओं के खिलाफ मोर्चा संभाला है।

आनंद शर्मा ने ट्वीट कर कहा कि “कांग्रेसी कार्यकर्ताओं को यूपीए सरकार की विरासत पर गर्व होना चाहिए। कोई भी पार्टी अपनी विरासत की आलोचना नहीं करती। किसी को भी उम्मीद नहीं है कि बीजेपी चैरिटी करते हुए हमें श्रेय देगी लेकिन हमें इसकी इज्जत करनी चाहिए और इसे नहीं भूलना चाहिए।”

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा कि “10 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बावजूद भाजपा ने कभी भी वाजपेयी सरकार के कार्यकाल की आलोचना नहीं की। बल्कि तथ्य ये है कि भाजपा ने हर फोरम पर पूरे जोश के साथ अपनी सरकार का बचाव किया। यह बेहद दुर्भाग्यशाली है कि जिन लोगों को जानकारी नहीं है, वो भाजपा से मुकाबला करने का बजाय यूपीए सरकार के कार्यकाल की आलोचना कर रहे हैं।”

मनीष तिवारी ने टीओआई के साथ बातचीत में पार्टी नेतृत्व के मुद्दे पर भी अपनी राय रखी। तिवारी ने कहा कि एक स्थायी अध्यक्ष पार्टी में शीर्ष स्तर पर एक स्थायीत्व देता है। ऐसे समय में जब मौजूदा सरकार की विश्वसनीयता खतरे में है, तब कांग्रेस विपक्ष को एकजुट कर सकती है।

बता दें कि बीते गुरुवार को कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों की बैठक हुई थी। इस बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की थी। बैठक के दौरान सांसद और राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले राजीव साटव ने कांग्रेस के यूपीए सरकार के कार्यकाल की आलोचना की और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से आत्ममंथन की अपील की। साटव ने साल 2019 में मिली हार का कारण यूपीए सरकार के कार्यकाल को बताया।

आनंद शर्मा और मनीष तिवारी के अलावा पार्टी नेता शशि थरूर ने भी कहा कि ‘चुनाव में हार से सीख लेनी चाहिए लेकिन अपने वैचारिक दुश्मन के हाथों में खेलना नहीं चाहिए।’ वहीं मामला बढ़ता देख साटव ने सफाई दी है कि उन्होंने कभी भी मनमोहन सिंह की नेतृत्व क्षमता पर सवाल नहीं उठाए हैं। इस पूरे मामले का दोष साटव ने मीडिया रिपोर्टिंग पर मढ़ दिया है।