इजरायली स्पाइवेयर पेगासस जासूसी प्रकरण में नित नए भौचक करने वाले खुलासे हो रहे हैं। अब पता चला है कि कांग्रेस चीफ रहे राहुल गांधी के साथ चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर भी सरकार के निशाने पर रहे थे। यही नहीं मौजूदा आईटी मंत्री अश्वनि वैष्णव के साथ केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल की भी निगरानी कराई जा रही थी।
एक रिपोर्ट के अनुसार रागुल गांधी के दो नंबरों की 2018 के मध्य से 2019 तक जासूसी कराई गई। उस दौरान आम चुनाव चल रहे थे। राहुल अब ये दोनों नंबरों का इस्तेमाल करना छोड़ चुके हैं। कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि भारतीय जासूस पार्टी बेडरूम की बातें भी सुन रही थी। कांग्रेस ने इस मसले पर गृहमंत्री शाह से इस्तीफे की मांग की है। उधर, गृह मंत्री अमिक शाह ने कहा है कि ये भारत को बदनाम कर विकास को बाधित करने की साजिश है। कांग्रेस बेवजह इसे मुद्दा बनाकर देश को बदनाम करना चाहती है।
PK ने 5 बार बदला हैंडसेट, पर फिर भी होती रही जासूसी
सूत्रों के मुताबिक सरकार अपने ही मंत्रियों की भी जासूसी में लिप्त थी। प्रहलाद पटेल उसके खास निशाने पर रहे। लीक लिस्ट से पता चला है कि केवल उनका नंबर ही नहीं बल्कि उनकी पत्नी और उनसे जुड़े 15 और लोगों के नंबर भी निगरानी पर थे। इनमें उनके कुक और माली का नंबर भी शामिल है। अश्वनि वैष्णव का नंबर 2017 में निशाने पर था। हालांकि, उस समय वो न तो मंत्री थे और न ही सांसद। उस दौरान वो बीजेपी के सदस्य भी नहीं बने थे।
प्रशांत किशोर में भी सरकार को खासी दिलचस्पी रही। फारेंसिक एनेलिस्ट के मुताबिक उनका फोन 14 जुलाई को बंद हो गया था। हालांकि, पीके ने 2014 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के लिए रणनीति तैयार की थी। लेकिन उसके बाद उनके पसंदीदा लोगों में ज्यादातर बीजेपी के धुर विरोधी नेता ही रहे हैं। ममता की हालिया जीत में वो कारक रहे थे। बीजेपी इससे खासी नाराज है।
Rudderless Cong jumping on to this bandwagon is not unexpected; they have experience in trampling on democracy: HM Amit Shah on snooping row
— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2021
A report has been amplified by few with only one aim – to humiliate India at world stage: HM Amit Shah on snooping row
— Press Trust of India (@PTI_News) July 19, 2021
Modi Govt Guilty of “TREASON”
Modi Govt’s Spyware Has “Dismantled National Security”
Snooping of Shri Rahul Gandhi
Sack Home Minister, Amit Shah & Inquire into Prime Minister’s RoleBJP = भारतीय जासूस पार्टी
अबकी बार… देशद्रोही – जासूस सरकार
Our Statement-: pic.twitter.com/8bmzYE9ebp
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) July 19, 2021
सरकार ने चुनाव आयुक्त रहे अशोक लवासा की भी जासूसी कराई। पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान मोदी और अमित शाह के खिलाफ शिकायतों पर चुनाव आयोग के फैसले पर असहमति दी थी। उन्होंने चुनाव आयोग की बैठकों में भाग लेना भी बंद कर दिया था। उनका कहना था कि उनकी बात नहीं सुनी जाती है। वो भी सरकार के निशाने पर थे।
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डेटा में 300 भारतीय मोबाइल नंबर शामिल हैं। इनमें 40 मोबाइल नंबर भारतीय पत्रकारों के हैं। इनके अलावा सुरक्षा एजेंसियों के मौजूदा, पूर्व प्रमुख, अधिकारी और बिजनेमैन शामिल हैं। इन नंबरों को 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले 2018-2019 के बीच निशाना बनाया गया था। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी टारगेट किया गया है।
देश के चालीस पत्रकारों के फ़ोन हैकिंग पर@NitishKumar ने कहा कि ये सब गंदी बात हैं लेकिन माना कि नयी टेक्नॉलजी आने के बाद दुरुपयोग चलता रहता हैं @ndtvindia @Anurag_Dwary @Suparna_Singh pic.twitter.com/E5SeEjlw9P
— manish (@manishndtv) July 19, 2021
उधर, बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने इसे बेकार की बातें बताते हुए कहा कि किसी को डिस्टर्ब करना अच्छी बात नहीं है। नीतीश ने कहा कि ये गलत हैं। यह सब गंदी बात हैं। सब फ़ालतू चीज़ हैं। किसी को डिस्टर्ब करना अच्छी बात नहीं है। उनका कहना था कि नई टेक्नॉलोजी का दुरुपयोग हो रहा है। इसका बुरा असर भी पड़ रहा है। कई जगह लोगों को परेशानी हो रही है।
मोदी सरकार ने हैकिंग में शामिल होने से इनकार करते हुए कहा कि विशेष लोगों पर सरकारी निगरानी के आरोपों का कोई ठोस आधार या इससे जुड़ी सच्चाई नहीं है। अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में कहा कि संसद के मानसून सत्र से पहले जासूसी से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट लोकतंत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है और संसद के सत्र से ठीक एक दिन पहले ये रिपोर्ट आना कोई संयोग नहीं है।