Rahul Gandhi Disqualified: बात 24 जून 1989 की है, जब 106 विपक्षी सदस्यों ने विवादास्पद विदेशी हथियारों के सौदे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के पद छोड़ने से इनकार करने के विरोध में इस्तीफा दे दिया। यह दिन भारतीय राजनीति और खासतौर पर कांग्रेस के लिए भूचाल लाने वाला था। यही सवाल अब राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद सामने आ रहा है। सवाल उठ रहा है कि क्या राहुल गांधी की सदस्यता जाने के बाद क्या विपक्ष के नेता या सभी कांग्रेस सदस्य ऐसा कलेजा दिखा पाएंगे, जो विपक्ष ने 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के खिलाफ दिखाया था।

राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता जाने के बाद कांग्रेस पार्टी के कई नेताओं का बयान सामने आया है। इसमें कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, ‘लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय, कांग्रेस के सभी संसद सदस्यों को भी इस्तीफा दे देना चाहिए।’ आचार्य ने कहा कि भाजपा का इलाज अदालत नहीं, इनका इलाज जनता की अदालत है। इनको हम 2024 के चुनाव में परास्त करेंगे।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के नाती और कांग्रेस नेता विभाकर शास्त्री ने राहुल गांधी की सदस्यता जाने पर ट्वीट करते हुए लिखा, ‘यदि मैं लोक सभा या राज्य सभा का सदस्य होता तो जो आज मेरे नेता राहुल गांधी जी के साथ हुआ है, उनकी संसद की सदस्यता रद्द की गई है व प्रजातंत्र की हत्या हुई है उसे देखकर, मेरे नेता राहुल जी के सम्मान में इस्तीफा दे देता।’ विभाकर शास्त्री इस ट्वीट को आचार्य प्रमोद कृष्णम ने रीट्वीट करते हुए लिखा, ‘वफ़ादारी का “तक़ाज़ा” तो यही है, लेकिन इस्तीफ़ा देने के लिये “कलेजा” चाहिये।’

कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने एक अन्य ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार बाजपेयी का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, ‘ राहुल गांधी को “मीर जाफ़र”कहने वालों को श्रद्धेय अटल जी का ये वीडियो ज़रूर देखना चाहिये। वीडियो में अटल बिहारी बाजपेयी कह रहे हैं, ‘ मुझे किडनी की समस्या थी, डॉक्टर ने मुझं जांच और इलाज के लिए अमेरिका जाने की सलाह दी। इलाज के लिए पैसों की व्यवस्था कर पाना मेरे लिए संभव नहीं था, लेकिन किसी तरह राजीव गांधी जी को इस बारे में पता चल गया। उन्होंने मुझे बुलाया और संयुक्त राष्ट्र जाने वाले प्रतिनिधिमंडल में शामिल करने का फैसला किया। मैं सदस्य के रूप में वहां गया। इलाज का पूरा खर्चा सरकार ने उठाया और मैं उनकी बदौलत पूरी तरह से ठीक हो गया।

चार साल पुराने आपराधिक मामले में राहुल गांधी को सजा

चार साल पुराने एक आपराधिक मानहानि में दो साल की सजा मिलने के एक दिन बाद शुक्रवार को कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई है। लोकसभा सचिवालय ने शुक्रवार को एक अधिसूचना जारी करके यह जानकारी दी है। अधिसूचना में बताया गया है कि केरल की वायनाड लोकसभा सीट के सांसद राहुल गांधी को सजा सुनाए जाने के दिन यानी 23 मार्च, 2023 से अयोग्य करार दिया जाता है। ऐसा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 102 (1) और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत किया गया है। इससे पहले गुरवार को राहुल गांधी को सूरत की एक कोर्ट ने चार साल पुराने आपराधिक मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने 15 हजार का जुर्माना भी लगाया था। साथ ही सजा को 30 दिन के लिए स्थगित किया गया था, यानी राहुल गांधी के पास सजा के खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए एक महीने का समय है।

‘मोदी सरनेम’ को लेकर क्या है पूरा मामला-

साल 2019 का ये मामला ‘मोदी सरनेम’ को लेकर राहुल गांधी की एक टिप्पणी से जुड़ा हुआ है जिसमें उन्होंने नीरव मोदी, ललित मोदी और अन्य का नाम लेते हुए कहा था, “कैसे सभी चोरों का सरनेम मोदी है? राहुल गांधी को जिस बयान के लिए दो साल की सज़ा हुई है वो उन्होंने साल 2019 में लोकसभा चुनावों के दौरान कर्नाटक के कोलार में दिया था। उन्होंने कथित तौर पर ये कहा था, ‘इन सभी चोरों का उपनाम (सरनेम) मोदी क्यों है?’ राहुल गांधी के इस बयान के खिलाफ बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी ने मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। पूर्णेश मोदी सूरत पश्चिमी से बीजेपी विधायक हैं और पेशे से वकील हैं। वह भूपेंद्र पटेल की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं। पूर्णेश मोदी का आरोप था कि राहुल गांधी की इस टिप्पणी से पूरे मोदी समुदाय की मानहानि की है। राहुल गांधीकी सजा के ऐलान के बाद याचिकाकर्ता पुर्णेश मोदी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम इस फैसले का दिल से स्वागत करते हैं।

राजीव गांधी के खिलाफ जब 106 सांसदों ने दिया था इस्तीफा-

स्वीडन की कंपनी एबी बोफोर्स और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की सरकार के साथ 155 मिमी के 400 हॉविट्जर तोपों का सौदा हुआ था। 1986 में हुए बोफोर्स डील में दलाली और भ्रष्टाचार का खुलासा 1987 में स्वीडिश रेडियो ने किया। आरोप था कि कंपनी ने सौदे के लिए भारत के नेताओं और रक्षा विभाग के अधिकारी को 60 करोड़ रुपए घूस दिए हैं। इसके बाद देश के मीडिया में भी यह खबर तेजी से फैली। आरोप लगने के बाद कैग ने इसकी जांच की थी। कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि हथियारों को मानकों का उलंघन करके खरीदा गया था। इसके साथ कैग ने यह भी बताया कि हथियारों की डिलीवरी में जानबूझकर देरी की गई। उस वक्त 514 सीटों वाली लोकसभा में विपक्ष के केवल 110 सांसद थे, इनमें बीजेपी के 2, जनता पार्टी के 10, वामपंथी 22, तेलगू देशम 30, एआईएडीएमके के 12 प्रमुख थे। 106 विपक्षी सांसदों ने इस्तीफा दिया था। यहां विपक्ष की मजबूती के साथ ही सत्ता की कमजोरी देखने को मिली थी। क्योंकि विपक्ष की एकता के नायक वीपी सिंह थे,जो सत्ता से निकल कर सामने आए थे। उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि हम तोप को लेकर हुए भ्रष्टाचार का पूरी तरह से विरोध करेंगे।