India Alliance Unity: लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने अब इसमें जान फूंकने की तैयारी की है। इसके लिए ही राहुल गांधी ने इंडिया ब्लॉक के नेताओं के लिए एक डिनर का आयोजन किया है। कांग्रेस ने संसद सत्र से पहले विपक्षी एकता के लिए ऑनलाइन बैठक बुलाई थी, जो कि पार्टी के लिए एक सबक साबित हुई।
लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने संसद सत्र के दौरान विपक्षी एकता की ज्यादा कोशिशें नहीं की थी लेकिन पिछले एक पखवाड़े में, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता यानी राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे ने सदन में सुचारू समन्वय सुनिश्चित करने के लिए अपने-अपने सहयोगी दलों के साथ कई बैठकें की हैं। अब, गठबंधन के शीर्ष नेता गुरुवार को राहुल गांधी के आवास पर डिनर पर मिलने वाले हैं। खास बात यह है कि इसके बाद अगले दिन यानी 8 अगस्त को विपक्षी दलों की दिल्ली स्थित चुनाव आयोग (ईसी) मुख्यालय तक मार्च निकालने की प्लानिंग की है।
राहुल पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी को लेकर क्या बोलीं प्रियंका गांधी?
कांग्रेस की टॉप लीडरशिप ने समझ ली विपक्ष दलों की नब्ज?
कांग्रेस की इस पहल के पीछे एक बड़ी वजह है… और वह यह है कि कांग्रेस की टॉप लीडरशिप समझ गई है कि वह विपक्षी दलों को संसद में लंबे समय तक सरकार विरोधी कैंपेन चलाने के लिए तभी एकजुट कर सकती है, जो कि क्षेत्रीय दलों के लिए तत्काल चिंता का विषय हैं। कांग्रेस की यह नीति पिछले कुछ संसद सत्रों से अलग है। उस दौरान कांग्रेस ने अमेरिकी रिपोर्ट में गौतम अडानी पर रिश्वतखोरी के आरोपों को लेकर संसद में आक्रामकता दिखाई थी लेकिन उस दौरान कांग्रेस को विपक्षी दलों से कोई खास सहयोग नहीं मिला था।
आज की स्थिति में कांग्रेस और उसके सहयोगी दल एक बार फिर एकमत हैं। हालाकि, इनमें से लगभग सभी दलों ने पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए संसद का एक विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी, लेकिन बिहार में वोटर लिस्ट के इंटेसिव रिवीजन के मुद्दे ने सभी की टेंशन बढ़ा दी है। इसीलिए ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के लिए सहमति के बावजूद टीएमसी ने लोकसभा में शुरुआत में विरोध प्रदर्शन किया था। टीएमसी चाहती थी कि विपक्ष को सरकार से आश्वासन मिले कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद SIR पर भी चर्चा होगी।
हिटलर के प्रोपगैंडा मिनिस्टर के नक्शेकदम पर चल रहे राहुल गांधी
विपक्ष के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है SIR
कई विपक्षी दलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाला वोटर लिस्ट का SIR सबसे बड़ा मुद्दा है और यही उन्हें एकजुट कर रहा है। वरिष्ठ डीएमके नेता तिरुचि शिवा ने कहा,” वोटर लिस्ट का रिवीजन एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है। चुनाव आयोग वोटर लिस्ट में संशोधन करके कई लोगों को उनके मताधिकार से वंचित कर रहा है। भारत जैसे देश में निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित करने होंगे। नागरिकता साबित करने के लिए कहना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। आज यह बिहार में शुरू हुआ है, कल तमिलनाडु , पश्चिम बंगाल और भारत के अन्य सभी हिस्सों में भी होगा… विपक्षी दलों के मतदाता मतदान से वंचित हो जाएंगे।”
दूसरी ओर माकपा के जॉन ब्रिटास ने कहा, “हमारे सामने कई और मुद्दे हैं लेकिन वामपंथियों से लेकर तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस से लेकर आप तक, पूरा विपक्ष SIR के खिलाफ लड़ने के लिए एकजुट हो गया है क्योंकि इस एसआईआर के असली प्रमुख निर्वाचन सदन में नहीं बल्कि कहीं और बैठे हैं।”
‘चुनाव आयोग वोट चोरी कर रहा’; राहुल गांधी के आरोपों को EC ने बताया निराधार
कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार हैं क्षेत्रीय विपक्षी दल
दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन से बाहर हो चुकी आम आदमी पार्टी के नेता बुधवार को संसद की कार्यवाही ठप करने वाले विपक्षी गुट की SIR संबंधित प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी शामिल हुए थी। इसी तरह खुद को इंडिया ब्लॉक का हिस्सा न मानने वाली टीएमसी के नेता भी आज राहुल गांधी की डिनर पार्टी में शामिल होने वाले हैं।
खास बात यह है कि लेफ्ट और टीएमसी इस मंच पर साथ होंगे, जबकि कुछ महीनों बाद होने वाले पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में दोनों ही एक दूसरे के प्रतिद्वंदी होंगे। कई विपक्षी दलों के लिए वोटर लिस्ट का रिवीजन अस्तित्व का सवाल बन गया है और क्षेत्रीय दल अपने मुद्दों के साथ कांग्रेस के साथ हाथ मिलाने को तैयार हो गए हैं।
अमित शाह के खिलाफ किस बयान की वजह से राहुल गांधी पर दर्ज हुआ था केस?
इस डिनर में कांग्रेस जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफ़े पर सरकार पर कुछ राजनीतिक बढ़त बनाने की कोशिश करेगी। वहीं कई दलों को लगता है कि उनके राज्यों में इसका कोई असर नहीं है। उदाहरण के लिए बजट सत्र के दौरान समाजवादी पार्टी कुंभ मेले में हुई भगदड़ को लेकर ज़्यादा चिंतित थी क्योंकि इससे उत्तर प्रदेश की पार्टी को योगी आदित्यनाथ सरकार पर निशाना साधने का एक राजनीतिक मौका मिल गया था। यह भी एक तथ्य है कि कुछ छोटी पार्टियां संसद में सामान्य कामकाज होते देखना चाहती हैं ताकि वे प्रश्न पूछ सकें और अपने चिंताजनक मुद्दों को उठा सकें। ज़्यादातर पार्टियां एसआईआर मुद्दे पर एकमत हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी एकता होगी चुनौती
विपक्ष में आम सहमति की इस भावना को कम से कम 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव तक के लिए बरकरार रखना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगा। चुनावों में एनडीए के पास बहुमत होगा लेकिन कई लोगों का मानना है कि संयुक्त उम्मीदवार का चुनाव और इस पर तीखा राजनीतिक विमर्श काफी अहम होगा।