Leader Of Opposition Rahul Gandhi: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सोमवार को विपक्ष के नेता के तौर पर अपना पहला भाषण दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता के तौर पर दिए गए 100 मिनट के भाषण में उन्होंने नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार को जमकर टारगेट किया। इस भाषण पर प्रधानमंत्री मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत पूरे सत्तारूढ़ दल ने भी पलटवार किया है।
पिछले 10 सालों में किसी भी पार्टी के पास एलओपी का दर्जा हासिल कर पाने की ताकत नहीं थी। राहुल गांधी 2014 के बाद से लोकसभा में विपक्ष के पहले नेता हैं और उन्होंने दावा किया है कि वे सदन में सिर्फ कांग्रेस का ही नहीं बल्कि सभी विपक्षी दलों की तरफ से भी आवाज उठाएंगे। राहुल गांधी से पहले भी कुछ नेताओं ने इस पद को संभाला था। इनमें अटल बिहारी वाजपेयी, सोनिया गांधी , लालकृष्ण आडवाणी और शरद पवार का नाम शामिल हैं।
विपक्षी नेताओं के वेतन और भत्ते
विपक्ष के नेता के पद का आधिकारिक रूप से संसद में विपक्ष के नेताओं के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1977 में दिया गया है। इस अधिनियम में विपक्ष के नेता को राज्य सभा या लोक सभा का सदस्य के रूप में बताया गया है। यह उस समय उस सदन में सरकार के विपक्षी दल का नेता होता है, जिसके पास सबसे ज्यादा संख्याबल होता है। इसको राज्यसभा के सभापति और लोकसभा के अध्यक्ष विपक्षी नेता के तौर पर मान्यता देते हैं।
लोकसभा में विपक्ष के नेता को कुछ खास अधिकार मिलते हैं। यह संसद के विपक्ष के नेताओं के वेतन और भत्ते अधिनियम, 1977 में दिया गया है। विपक्ष के नेता को संसद सदस्यों के संबंध वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954 की धारा 3 में दी गई दरों में मासिक वेतन और दैनिक भत्ते लेने का पूरा अधिकार है। इसमें 2,000 रुपये एसए भी शामिल है।
राहुल गांधी को अपने और अपने परिवार के सदस्यों के लिए दिल्ली आने-जाने के लिए ट्रैवल अलाउंस भी मिलेगा। इतना ही नहीं अगर वह किसी काम से कोई यात्रा कर रहे हैं तो उनको यात्रा और दैनिक दोनों भत्ते मिलेंगे। चाहे फिर वह समुद्र से जा रहे हो या जमीन और हवाई यात्रा पर जा रहे हों। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष का पद संभालने वाले सांसद को केंद्रीय मंत्री के बराबर वेतन मिलता है और उसी के अनुरूप भत्ते और अन्य सुविधाएं मिलती हैं। इनकम टैक्स में भी छूट दी जाती है। इसके अलावा वह सरकार के अस्पतालों में अपना और अपने परिवार का फ्री इलाज भी करवा सकते हैं।
विदेशी मेहमानों के आने पर भी रह सकते हैं मौजूद
जब कोई भी विदेशी मेहमान भारत के दौरे पर आता है तो वहां पर विपक्ष का नेता मौजूद रह सकता है और उनसे बातचीत भी कर सकता है। लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता 7 वें नंबर पर आते हैं। इसमें केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव, नीति आयोग के उपाध्यक्ष, पूर्व प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं।
विपक्ष के नेता को सदन में स्पीकर के लेफ्ट साइड में पहली लाइन में एक जगह मिलती है। इतना ही नहीं कुछ मौकों पर उन्हें कुछ खास अधिकार भी हासिल होते हैं। उदाहरण के लिए चुने गए अध्यक्ष को मंच तक ले जाना। विपक्ष के नेता को संसद के दोनों सदनों में राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान भी पहली लाइन में सीट पाने का अधिकार है।
विपक्ष के नेता को संसद परिसर में एक ऑफिस और उसमें स्टाफ, दिल्ली में एक आवास, इसमें कई सारी इमारतें होती हैं। ऑफिशियल रेजिडेंस की देखभाल करने के लिए बिजली और पानी के टैक्स में भी रियायत दी जाती है। विपक्ष के नेता को कार खरीदने के लिए भी पैसे मिलते हैं। ताकि उन्हें अपने ऑफिस जाने और किसी काम को करने में कोई परेशानी ना हो।
