कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस समय अमेरिकी दौरे पर हैं, वहां पर उनकी तरफ से कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया गया है। कभी छात्रों से वे मुलाकात कर रहे हैं तो कभी अमेरिकी संसद के बड़े नेताओं के साथ भी बातचीत हो रही है। लेकिन उनके हर विदेशी दौरे की तरह एक बार फिर विवाद उनके साथ चल पड़े हैं। जितनी बातें राहुल बोल रहे हैं, उतनी ही बातों पर देश में बड़े विवाद होते दिख रहे हैं।

राहुल गांधी के किन बयानों पर विवाद?

सबसे पहले राहुल गांधी के उन बयानों को जानते हैं जिस वजह से बीजेपी के तमाम नेता कह रहे हैं कि उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। इस समय सबसे ज्यादा विवाद राहुल के चीन को लेकर दिए बयान पर है। असल में राहुल गांधी ने एक बार फिर दावा कर दिया है कि लद्दाख के एक हिस्से पर चीन का कब्जा चल रहा है। उनका यहां तक मानना है कि पीएम मोदी ने इस स्थिति को ठीक तरह से हैंडल नहीं किया।

चीन को लेकर राहुल गांधी ने क्या बोला?

राहुल ने कहा था कि इस समय चीनी सैनिकों ने दिल्ली जितनी जमीन पर लद्दाख में कब्जा कर रखा है, मैं इसे एक बड़ी आपदा के रूप में देखता हूं। मीडिया इस बारे में लिखना ज्यादा पसंद नहीं करती है। लेकिन सोचिए अमेरिका कैसे रिएक्ट करेगा, अगर उसे पता चले कि उसके पड़ोसी ने उसकी 4000 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर कब्जा कर लिया है। क्या कोई राष्ट्रपति यह कहकर बच सकता है कि उसने स्थिति को बेहतर तरीके से संभाला था। मैं बिल्कुल नहीं मानता कि पीएम मोदी ने चीन मुद्दे को ठीक तरह से हैंडल किया है। मुझे कोई कारण समझ नहीं आता कि आखिर क्यों चीनी सैनिक हमारी जमीन पर बैठे हुए हैं।

लद्दाख में दिल्ली जितनी जमीन पर चीन ने कब्जा किया, अमेरिका की धरती से राहुल गांधी का दावा

बीजेपी ने चीन वाले बयान पर क्या कहा?

अब यह राहुल गांधी का पहला बयान है जिसे लेकर बीजेपी हमलावर है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने तो कह दिया है कि जो लोग भारत से बाहर जाकर भारत की ही निंदा करते हैं और उसके दुश्मनों की तारीफ, उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। अब यह तो सिर्फ एक बयान है, राहुल गांधी ने देश में हुए चुनावों पर भी एक स्टेटमेंट दिया था। उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव को निष्पक्ष मानने से इनकार कर दिया था।

लोकसभा चुनाव को लेकर राहुल के किस बयान पर बवाल?

उन्होंने अपने बयान में कहा कि मुझे नहीं लगता कि अगर निष्पक्ष चुनाव होते तो बीजेपी को 246 सीटें नहीं आ पातीं। उस पार्टी के पास तो बहुत बड़ा आर्थिक लाभ था, हमारे तो बैंक खाते तक सील कर लिए गए थे। इसके बाद राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए बोला कि चुनाव आयोग तो सिर्फ उतना कर रहा था, जितना बीजेपी चाहती थी, पूरा अभियान ही ऐसे तैयार हुआ था कि पीएम मोदी आराम से अपना काम कर सकें। मैं इस चुनाव को स्वतंत्र चुनाव के रूप में नहीं देखता हूं, बल्कि इसे एक नियंत्रति चुनाव मानता हूं।

देश की कमी बताना क्या देशद्रोह माना जाए?

अब राहुल गांधी के इन्हीं बयानों पर बवाल है और सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या इसे देशद्रोह की श्रेणी में रखा जाएगा। उससे भी बड़ी बात यह है कि राहुल गांधी ने जो भी बयान दिए हैं, क्या उसे देश का अपमान माना जाएगा या सिर्फ किसी पार्टी या सरकार की नीति का? अब सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि देश में जब ‘राजद्रोह’ वाला कानून समाप्त हो चुका है, इस शब्द को ही हटा दिया गया है। इसकी जगह अब देशद्रोह शब्द को जगह दी गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि राजद्रोह अंग्रेजों के जमाने का कानून था, तब आईपीसी की धारा 124A के तहत वो आता था, लेकिन अब क्योंकि आईपीसी की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ले ली है, ऐसे में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं।

देशद्रोह कानून क्या कहता है?

अब राजद्रोह या Sedition जैसा कोई शब्द तो न्याय संहिता में नहीं है, लेकिन उसकी परिभाषा जरूर साफ कर दी गई है। कानून में बताया गया है कि कौन-कौन से अपराध देशद्रोह माने जाएंगे। इसे सेक्शन 150 में विस्तार से बताया गया है। भारतीय न्याय संहिता का अनुच्छेद 150 कहता है कि जो कोई भी इंसान जानबूझकर अपने शब्दों, संकेतों, इलेक्ट्रॉनिक संचार या फिर किसी भी तरह के वित्तीय साधनों का इस्तेमाल कर उकसाने या लोगों को उत्तेजित करने का काम करता है, या फिर वो अपने शब्दों या एक्शन से भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने का काम करता है, या ऐसे किसी भी गतिविधि में शामिल होता है या उसे करता है, तो उस स्थिति में आरोपी को न्यूनतम 7 साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा हो सकती है। भारी जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है।

सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलना देशद्रोह नहीं

यहां एक अहम पहलू यह भी है कि राजद्रोह कानून की तरह अब देशद्रोह वाले कानून में सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने पर कोई एक्शन नहीं होगा। इससे पहले जब देश में राजद्रोह वाला कानून चलता था, तब धारा 124 ए के मुताबिक सरकार के प्रति नफरत और अवमानना पैदा करने को भी अपराध माना जाता था। लेकिन नए कानून में इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। इतना जरूर है कि अगर कोई सशस्त्र विद्रोह, विनाशकारी गतिविधियों या फिर अलगाववादियों वाली गतविविधियों में सक्रिय है, तो वो सजा का हकदार है।

एक जरूरी बात यह भी है कि पहले जिस राजद्रोह कानून के तहत कार्रवाई होती थी, तब तो सरकारी नीतियों के खिलाफ बोलने पर भी जेल की सजा हो सकती थी। अंग्रेजों ने जब भारत पर राज किया था, तब इसी कानून के तहत महात्मा गांधी से लेकर दूसरे स्वतंत्रतता सैनानियों को जेल में डाला गया था। तर्क दिया जाता था कि उनकी स्पीच, उनके आर्टिकल राजद्रोह के अंदर आते हैं। लेकिन नए कानून में साफ कहा गया है कि अगर सरकार की नीति के खिलाफ बोलते हैं, अगर आप सरकार के किसी नेता के खिलाफ बोलते हैं, उसे देशद्रोह नहीं माना जा सकता।

राहुल गांधी ने सरकार पर सवाल उठाए या देश पर?

खुद देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कई इंटरव्यू में यह बात स्पष्ट कर दी है। ऐसे में बीजेपी के नेता बयानों के जरिए जरूर कह सकते हैं कि राहुल गांधी के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए, लेकिन असल मायनों में ऐसा होना मुश्किल है। अगर ध्यान से देखा जाए तो राहुल गांधी ने जब चीन वाला बयान दिया है, जब उन्हें सीमा विवाद का जिक्र किया है, उन्होंने उसे पीएम मोदी से जोड़ते हुए कहा है स्थिति को ठीक तरह से हैंडल नहीं किया गया। यानी कि राहुल गांधी ने एक तरह से वर्तमान सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाया है जिसे देशद्रोह नहीं माना जा सकता।

चुनाव पर सवाल उठाना देशद्रोह नहीं, सबूत मांग सकता EC

इसी तरह राहुल गांधी ने जब अमेरिका में बैठकर चुनाव आयोग पर सवाल उठाया, कहा कि इलेक्शन निष्पक्ष होता तो बीजेपी को 246 सीटें नहीं आती, इस स्थिति में भी देशद्रोह का कानून नहीं लगता है। हां मानहानि का केस जरूर बन सकता है अगर चुनाव आयोग को ऐसा लगे कि गलत तथ्यों के जरिए उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास हुआ है, अविश्वास पैदा करने की कोशिश हुई है। इसके ऊपर चुनाव आयोग चाहे तो राहुल गांधी को एक नोटिस भी भेजा जा सकता है, उस नोटिस के जरिए उनसे सबूत मांगे जा सकते हैं इस बात को लेकर कि आखिर इलेक्शन निष्पक्ष कैसे नहीं था।

तो क्या राहुल गांधी पर देशद्रोह मुकदमा चल सकता है?

उदाहरण के लिए जब सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यूपी विधानसभा चुनाव के बाद आरोप लगा दिया था कि हर सीट पर यादवों और मुसलमानों के 20-20 हजार वोट हटवा दिए गए, तब चुनाव आयोग ने उनसे तुरंत सबूत मांगा था, उन्हें दस्तावेज सौंपने के लिए कहा गया था। अब राहुल गांधी को भी ऐसा करना पड़ सकता है अगर चुनाव आयोग को जरूरी लगे। लेकिन वर्तमान कानून को देखकर जानकार इतना जरूर मानते हैं कि कांग्रेस नेता पर चीन की तारीफ करने को लेकर, सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाने को लेकर देशद्रोह का मुकदमा नहीं चल सकता।