रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली और अन्यों की उपस्थिति में ‘सर्व धर्म पूजा’ के बाद पांच राफेल विमानों को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया गया हैं। फाइटर जेट राफेल को अंबाला एयरबेस पर 17 स्क्वाड्रन ‘गोल्डन ऐरोज’ में शामिल किया गया है। भारत-चीन के बीच सीमा पर जारी तनाव के बीच भारत के लिए इस उपलब्धि को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

इसी स्क्वाड्रन ने दो युद्धों में पाकिस्तान को धूल चटा दी थी। हालांकि पूर्व में इस स्क्वाड्रन को रिटायर कर दिया गया था, मगर राफेल विमानों के लिए इसे एक बार फिर एक्टिव किया गया है। स्क्वाड्रन गोल्डन एरोज को साल 2016 में नंबर प्लेटेड कर दिया गया था। एयरफोर्स की भाषा में समझें तो इस स्क्वाड्रन को नंबर प्लेटेड करने का मतलब है कि इसका सर्विस से रिटायर हो जाना।

Rafale jets Induction Ceremony LIVE updates

रिटायर होने से पहले इस स्क्वाड्रन में मिग-21 लड़ाकू विमान थे। इन विमानों को धीरे-धीरे एयरफोर्स से हटाया जा रहा था। मगर राफेल के लिए ये स्क्वाड्रन एक बार फिर अस्तित्व में आ गया है। रिपोर्ट के मुताबिक एयरफोर्स चीफ रह चुके बीएस धनुआ इसी स्क्वाड्रन के कमांडिंग चीफ थे। 17 स्क्वाड्रन एक अक्टूबर 1951 को अस्तित्व में आया। फ्लाइट लेफ्टिनेंट डीएलएस स्पिंगेल इसके मुखिया थे। तब इसमें हार्वड-2बी एयरक्राफ्ट थे। 1957 में इस स्क्वाड्रन में एच हंटर एयरक्राफ्ट शामिल किए गए। साल 1975 में मिग-21 विमानों को 17 स्क्वाड्रन गोल्डन ऐरोज में शामिल किया गया।

1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध में 17 स्क्वाड्रन ने भारत की खासी हवाई मदद की। 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान 17 स्क्वाड्रन ने ऑपरेशन सफेद सागर में हिस्सा लिया। तब इसमें मिग विमान थे और बीएस धनुआ इसके विंग कमांडर थे। बता दें कि फ्रांस की एरोस्पेस क्षेत्र की दिग्गज कंपनी दसॉल्ट एविएशन द्वारा निर्मित बहु भूमिका वाले राफेल विमानों को हवाई श्रेष्ठता और सटीक निशानों के लिए जाना जाता है।

पांच राफेल विमानों का पहला जत्था 29 जुलाई को भारत पहुंचा था। इससे करीब चार साल पहले भारत ने फ्रांस के साथ 59,000 करोड़ रुपए की लागत से ऐसे 36 विमानों की खरीद के लिए अंतर सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।