राफेल डील विवाद पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को बड़ी राहत मिली है। शुक्रवार (14 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें कोर्ट की निगरानी में इस मसले की जांच कराने की मांग उठाई गई थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि उसे इस सौदे और जेट विमानों की तकनीकी में कोई कमी नहीं नजर आती है। केंद्र सरकार के फैसले पर यूं सवालिया निशान लगाना ठीक बात नहीं है। बता दें कि ये याचिकाएं जेट विमानों की डील में अनियमितताओं को लेकर दाखिल की गई थीं।

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कोर्ट की तरफ से कहा गया, “हम डील की प्रक्रिया से संतुष्ट हैं। हमें इस डील में ऐसी कोई गड़बड़ी नहीं नजर आई, जिससे जाहिर होता है कि किसी कंपनी या काराबोरी का पक्ष लिया गया हो।” कोर्ट ने इसी के साथ साफ किया वह दखल की जरूरत नहीं समझता है।

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) रंजन गोगोई ने कहा, “देश को जेट विमानों की जरूरत है और वह उनके बगैर नहीं रह सकता। पर जेट विमानों की कीमत पर फैसला लेना कोर्ट का का काम नहीं है। डील के हर पक्ष में हमारा दखल देना ठीक नहीं बात नहीं है। जेट के दामों की तुलना करना कोर्ट का काम नहीं है।”

वहीं, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा है कि याचिकाकर्ताओं को डील में विमानों की कीमत के बारे में नहीं बताया गया। बकौल भूषण, “हमारी समझ से सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह गलत है। पर हम पीछे नहीं हटने वाले हैं। हम पुनर्विचार याचिका दाखिल करने पर विचार-विमर्श के बाद फैसला लेंगे।”

बता दें कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस बीते कुछ समय से राफेल को बड़ा मुद्दा बनाते हुए मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगा चुकी है। कांग्रेस का दावा था कि मोदी सरकार ने दोगुने दामों पर फ्रांस से 36 जेट विमानों का सौदा किया। कांग्रेस ने इसी के साथ कहा है कि इस मसले की जांच-पड़ताल के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन होना चाहिए।